वीडियो में एक बंधक की हत्या के दावे से जापान स्तब्ध

Last Updated 25 Jan 2015 08:14:52 PM IST

जापान के प्रधानमंत्री से लेकर आम लोग तक उस वीडियो से स्तब्ध रह गए, जिसमें आतंकी संगठन आईएस को दो जापानी बंधकों में से एक की हत्या करते हुए दिखाया गया है.


जापान बंधक संकट (फाइल)

राष्ट्र का ध्यान दूसरे बंधक 47 वर्षीय पत्रकार केनजी गोतो को बचाने पर केंद्रित है, वहीं कुछ लोगों ने इस बंधक संकट के लिए प्रधानमंत्री शिंजो आबे को जिम्मेदार ठहराया है. 
   
आबे ने जापानी ब्रॉडकॉस्टर एनएचके पर रविवार सुबह आतंकवादियों से गोतो को बगैर कोई नुकसान पहुंचाए रिहा करने को कहा.
   
उन्होंने कहा कि नये वीडियो के प्रमाणिक होने की संभावना है. हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार इसकी अभी भी समीक्षा कर रही है. उन्होंने हरूना युकावा के परिवार और मित्रों के प्रति संवेदना प्रकट की. 42 वर्षीय युकावा को पिछले साल सीरिया में बंधक बनाया गया था.
  
हालांकि, आबे ने वीडियो में दिए गए संदेश पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है, जिसमें गोतो के बदले एक कैदी को रिहा करने की मांग की गई है. उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि सरकार हालात से निपटने पर अभी भी काम कर रही है और दोहराया कि जापान आतंकवाद की निंदा करता है.
  
उन्होंने कहा, ‘‘मैं अवाक रह गया हूं.’’ वह ऐसी हरकतों की पुरजोर निंदा करते हैं.
  
युकावा के पिता शोइची ने कहा कि उनका दिल कहता है कि उनके बेटे की हत्या की खबर सच नहीं है. ‘‘यदि मैं कभी उससे मिला तो मैं उसे गले लगाना चाहूंगा.’’
  
उधर, व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता पैट्रिक वेंट्रेल ने कहा कि अमेरिकी खुफिया अधिकारी भी यह पता लगाने में जुटे हुए हैं कि यह प्रमाणिक है या नहीं.
  
जापानी सैनिकों की विस्तारित भूमिका पर जोर दिए जाने को लेकर आबे की आलोचना की गई है. दरअसल, द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद से यह देश अपनी आत्मरक्षा तक सीमित था.
  
गौरतलब है कि आबे ने मध्य पूर्व की यात्रा के दौरान राष्ट्रों को आतंकवादियों का मुकाबला करने के लिए 20 करोड़ डॉलर की मदद देने की घोषणा की थी.
  
इस्लामिक स्टेट ने इतनी ही रकम की मांग मंगलवार को जारी अपने वीडियो में की थी जिसमें 72 घंटों के अंदर युकावा और गोतो का सिर कलम करने की धमकी दी गई थी.
  
जापान सरकार के प्रवक्ता योशीदे सुगा ने कहा है कि ऑडियो की अभी भी छानबीन की जा रही है लेकिन वीडियो को प्रामाणिक मानने से इनकार करने का कोई कारण नहीं है.



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