ओबामा की भारत यात्रा का लक्ष्य है चीन पर नियंत्रण रखना: थिंक टैंक

Last Updated 25 Jan 2015 06:02:06 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की दूसरी भारत यात्रा से चौकन्ना चीन इस यात्रा के नतीजे पर नजरें टिकाए हुए है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा (फाइल)

इस बीच चीन के सरकारी थिंक टैक ने टिप्पणी की है कि इस यात्रा का लक्ष्य चीन पर नियंत्रण रखना है लेकिन भारत अमेरिका के चक्कर में नहीं पड़ेगा.
     
सरकारी सीसीटीवी पर ओबामा का आगमन ब्रेकिंग न्यूज है. इस टीवी ने हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ओबामा से गले मिलते हुए दिखाया है. इसी बीच ये सवाल उठ रहे हैं कि इसका चीन पर क्या प्रभाव पड़ने जा रहा है और क्या यह इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव पर नियंत्रण पाने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा तो नहीं है.
     
चीन के दृष्टिकोण से ओबामा की यात्रा के महत्व को रेखांकित करते रेनमिन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस के प्रो. वांग येवी ने सीसीटीवी से कहा कि ओबामा दूसरी बार भारत की यात्रा करने वाले पहले राष्ट्रपति बन गए हैं और इस यात्रा का उद्देश्य अपनी राजनयिक विरासत भी छोड़ जाना है.
     
उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका की दृष्टि से देखें तो, भारत चीन पर नियंत्रण पाने एवं हिंद महासागर में रेशम मार्ग पर जोर डालने के चीन के कदम को संतुलित करने की अमेरिका की तथाकथित हिंद-प्रशांत रणनीति के लिए अहम है.
     
वांग ने कहा, ‘‘वास्तव में अमेरिकी रणनीति चीन के विरूद्ध भारत का इस्तेमाल करना है. हम यह भी समझते हैं कि भारत को रक्षा एवं सुरक्षा में अमेरिका के साथ रणनीतिक सहयोग की जरूरत है क्योंकि भारत को अलगाववादियों और आतंकवादी हमलों से काफी नुकसान उठाना पड़ा है और उसे अमेरिका से पूंजी निवेश की जरूरत है. हमें उसे भारत की जरूरत के हिसाब से समझना चाहिए.’’
     
उन्होंने कहा कि इस यात्रा का लक्ष्य भारत में चीन और रूस के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित रखना है.
     
उन्होंने कहा कि चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और उसका स्थान अमेरिका से ऊपर है. अमेरिका को इस संबंध में चीन के प्रभाव को संतुलित करने की जरूरत है.
     
वांग ने कहा, ‘‘लेकिन भारत लंबे समय से एक सभ्य राष्ट्र रहा है और वह स्वतंत्र विदेश नीति पर चलता रहा है. किसी के लिए उसका इस्तेमाल करना आसान नहीं है.’’
     
उन्होंने कहा कि भारत तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था भी है और उसकी विकास दर के शीघ्र ही चीन से आगे निकलने की संभावना है. भारत जलवायु वार्ता में भी अहम है.    
     
उन्होंने कहा, ‘‘ओबामा विभिन्न राजनयिक लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं जिसके लिए उन्हें भारत की मदद की जरूरत है.’’
     
पिछले सप्ताह सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के एक आलेख कहा गया था कि ओबामा की यात्रा के दौरान अमेरिका भारत रणनीतिक संबंध में किसी बड़ी उपलब्धि की संभावना नहीं है क्योंकि भारत पाकिस्तान और जलवायु मुद्दे को लेकर संवेदनशील है.



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