डेस्क के पीछे छिपकर बच गई साढ़े तीन साल की एमन
पेशावर के आर्मी स्कूल में साढ़े तीन साल की बच्ची एमन एक डेस्क के पीछे छिपकर तालिबानियों के हाथों अपने साथियों का कत्ल होता देखती रही.
पाकिस्तान के पेशावर में आर्मी स्कूल की साढ़े तीन साल की छात्रा एमन कैंडिल जलाकर श्रद्धांजलि देती हुई. (फाइल फोटो) |
चार घंटों तक वह मासूम उस हौलनाक मंजर से रू-ब-रू रही. बाद में एक कमांडो ने उसे बचाया.
एमन को जिस टीचर ने डेस्क के पीछे छिप जाने को कहा था, वह भी हैवानों के हाथों मारी गई. मासूम एमन कहती है कि बड़ी होकर वह डॉक्टर बनेगी, ताकि अपने घायल साथियों का इलाज कर सके. वह नहीं जानती कि जिनका वह इलाज करना चाहती है, उनमें से अधिसंख्य अब इस दुनिया में नहीं हैं.
एमन के पिता शाहिद खान ने पाकिस्तानी मीडिया को बताया कि उसकी बच्ची हमले के वक्त स्कूल में ही थी. टीचर हफ्सा ने एमन से एक डेस्क के पीछे छिप जाने को कहा.
टीचर ने उससे कहा कि जो लोग आए हैं, वे अच्छे नहीं हैं. एक-47 रायफल लिए आतंकियों के बारे में एमन ने कहा, ‘मुझे पता नहीं कि उनके हाथों में क्या था, पर ऐसी आवाजें आ रही थीं, जैसी फिल्मों में आती हैं. कई बच्चे कराह रहे थे.
उनको दर्द हो रहा था. मैं बहुत देर तक डेस्क के पीछे छिपी रही. तब एक अच्छा आदमी आया और हाथ हिलाकर बोला, सब ठीक हो गया है, बाहर आ जाओ.’
यह पूछे जाने क्या वह स्कूल जाएगी, एमन ने कहा, ‘मैं नहीं डरती, मैं बहादुर बच्ची हूं, स्कूल जाऊंगी और अपने दोस्तों के साथ खेलूंगी. मैं बड़ी होकर डॉक्टर बनूंगी और बुरे लोगों ने कुछ किया तो अपने घायल भाई और बहनों की मदद करूंगी.
मैं अपने भाई की तरह बहादुर हूं, जो अस्पातल में है.’ एमन के 40 वर्षीय पिता शाहिद ने कहा कि उसे अपनी बहादुर बेटी पर गर्व है. वह एक असली पख्तूनी लड़की है.
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