अमेरिका-क्यूबा संबंध बहाली की दुनिया भर में सराहना

Last Updated 18 Dec 2014 09:28:14 PM IST

कम्युनिस्ट क्यूबा के प्रति 50 साल से अधिक के अलगाव को खत्म करने और राजनयिक संबंध बहाल करने की दिशा में अमेरिका द्वारा उठाए गए कदमों को एक ‘एतिहासिक मोड़’ करार देते हुए विश्व समुदाय ने इसकी सराहना की है.


पोप फ्रांसिस ने बराक ओबामा और राउल कास्त्रो को बधाई संदेश भेजे (फाइल फोटो)

कम्युनिस्ट क्यूबा के प्रति 50 साल से अधिक के अलगाव को खत्म करने और राजनयिक संबंध बहाल करने की दिशा में अमेरिका द्वारा उठाए गए आश्चर्यजनक कदम को एक ‘एतिहासिक मोड़’ करार देते हुए विश्व समुदाय ने इसकी सराहना की है.

पोप फ्रांसिस ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और क्यूबाई राष्ट्रपति राउल कास्त्रो को बधाई संदेश भेजा है. यह करार और दोनों देशों के कैदियों की रिहाई की घोषणा कनाडा और वेटिकन में एक साल से अधिक समय की गुप्त वार्ता के चलते संभव हो पाई है जिसमे पोप भी शामिल थे.

ओबामा ने मार्च में वेटिकन की यात्रा के दौरान पोप से क्यूबा के बारे में चर्चा की थी.  अमेरिका और क्यूबा के संबंध 1960 के दशक से सर्द हैं. ओबामा ने बुधवार को कहा था कि उस समय से अलग-थलग पड़े क्यूबा की अड़ियल और पुरानी नीति स्पष्ट रूप से नाकाम हुई तथा यह नया रूख अख्तियार करने का वक्त है.

इस बीच, कास्त्रो ने अमेरिका से अपना यात्रा प्रतिबंध खत्म करने का अनुरोध किया है जो साम्यवाद का रूख करने के चलते 50 साल से अधिक समय से लगा हुआ है. क्यूबा से संबंध सामान्य करने की प्रक्रिया में जुटे यूरोपीय संघ ने अमेरिका-क्यूबा कदम को एक ऐतिहासिक मोड़ बताया है.

यूरोपीय संघ की विदेश मामलों की प्रमुख फेडेरिका मोघेरीनी ने कहा, ‘‘आज एक और दीवार गिरनी शुरू हो गई.’’ उन्होंने कहा कि 28 सदस्यीय ईयू को क्यूबाई समाज के सभी तबकों के साथ सबंध बढ़ाने में आखिरकार सक्षम रहने की उम्मीद है.’’

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने संबंधों के सामान्य होने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम दोनों राष्ट्रों के नागरिकों के बीच संपर्क बढ़ाने में मदद करेगा.

बान ने अपने सालाना संवादादाता सम्मेलन के खत्म होने पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह खबर बहुत सकारात्मक है. संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता पर बार-बार काफी जोर दिया गया है पर वक्त आ गया है कि क्यूबा और अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करें.’’

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने क्यूबा पर लगे आर्थिक, वाणिज्यिक और वित्तीय प्रतिबंध को खत्म करने की मांग को लेकर 20 साल के लिए एक प्रस्ताव पेश किया है. इस साल भारत उन 188 देशों में शामिल है, जिन्होंने इस प्रस्ताव का समर्थन किया.

अर्जेंटीना में क्षेत्रीय सम्मेलन के लिए एकत्र हुए लैटिन अमेरिकी देशों के नेताओं ने इस खबर की सराहना की. चिली के विदेश मंत्री हेराल्डो मुनोज ने इस कदम को उत्तर और दक्षिण अमेरिका के बीच शीत युद्ध खत्म होने की शुरूआत बताया.

वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने कहा कि यह एक नैतिक जीत है और फिदेल की विजय है. मादुरो के पूर्वाधिकारी ह्यूगो शावेज फिदेल कास्त्रो के करीबी सहयोगी थे.

चीन ने भी इस फैसले का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि क्यूबा पर से अमेरिका आर्थिक प्रतिबंध हटा लेगा. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता छिन गांग ने बीजिंग में कहा, ‘‘क्यूबा-अमेरिका द्विपक्षीय संबंध सामान्य होने का चीन स्वागत करता है और इस कदम का समर्थन करता है. हमें उम्मीद है कि अमेरिका यथाशीघ क्यूबा पर से अपना प्रतिबंध हटा लेगा.’’ उन्होंने कहा कि हम विकास के पथ पर क्यूबा के कदम का समर्थन करना जारी रखेंगे.

कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने इस कदम का स्वागत किया है. कनाडा ने क्यूबा के साथ संबंध कभी नहीं तोड़े.

स्पेन के विदेश मंत्री जोस मैनुअल गार्सिया-मरगल्लो ने कहा कि यह कदम काफी मायने रखता है और क्यूबा से अपना मानवाधिकार रिकार्ड बेहतर करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा, ‘‘यह भविष्य सिर्फ लोकतंत्र और मानवाधिकार के प्रति सम्मान के आधार पर बन सकता है.’’

जर्मन विदेश मंत्री फ्रैंक वाल्टर स्टेनमेयर ने इस सफलता को बहुत अच्छी खबर बताया. हालांकि, यह कदम हर किसी को रास नहीं आया है. अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा में निर्वासन में रह रहे दर्जनों क्यूबाइयों ने कल इसकी घोषणा होने के बाद प्रदर्शन किया.
   
मियामी के कोले ओचो में ऐसे ही एक प्रदर्शन के दौरान कारलोस मुनोज फोंटानिल ने कहा, ‘‘यह एक विश्वासघात है. बातचीत से सिर्फ क्यूबा को फायदा होने जा रहा है.’’

करार के तहत 65 वर्षीय अमेरिकी ठेकेदार एलन ग्रॉस को अमेरिका में कैद तीन क्यूबाइयों के बदले रिहा कर दिया गया जिसे क्यूबाई जेल में रखा गया था.

ओबामा ने कहा कि अमेरिका आने वाले महीनों में हवाना में एक दूतावास खोलने पर विचार कर रहा है. ग्रॉस की रिहाई के बदले वाशिंगटन ने तथाकथित ‘क्यूबाई पांच’ के तीन सदस्यों को रिहा किया जो जासूसी के आरोप में लंबी सजा काट रहे थे.




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