SAARC सम्मेलन का आज अंतिम दिन, पाकिस्तान को भारत का प्रस्ताव नामंजूर
काठमांडू में हो रहे 18वें सार्क सम्मेलन का आज अंतिम दिन है. भारत ने सार्क देशों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था, जिसका पाकिस्तान विरोध कर रहा है.
SAARC में रहा अधूरापन, भारतीय प्रस्ताव पाक को नामंजूर |
जहां नेपाल समेत सभी सदस्य देशों की कोशिश होगी कि सड़क, रेल और बिजली के माध्यम से सार्क देशों के बीच कनेक्टिविटी के प्रस्तावित मसौदों पर पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ को राजी कर लिया जाए.
वहीं नवाज शरीफ की दलील है कि इस मुद्दे पर उन्होंने अपने मुल्क में उचित चर्चा नहीं की है.
अगर शरीफ अपनी जिद पर अड़े रहे, तो यह सम्मेलन उन कुछ गिने-चुने सार्क सम्मेलनों में से होगा, जिसमें किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हुआ. इस बीच नवाज शरीफ तय समय से पहले ही पाकिस्तान लौट रहे हैं. उन्हें शुक्रवार सुबह 7 बजे जाना था, लेकिन अब वह आज शाम 6 बजे ही रवाना होंगे.
आज सार्क सम्मेलन के अंतिम दिन सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि रिट्रीट कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. कार्यक्रम में शरीक होने के लिए सभी देशों के नेता हेलीकॉप्टर से काठमांडू से ढूलीखेल जाएंगे.
इस दौरान सबकी निगाहें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ पर टिकी होंगी. देखना होगा कि यहां दोनों के बीच बातचीत होती है या फिर एक-दूसरे को नजरअंदाज करते हैं.
इससे पहले कल एक डिनर के दौरान दोनों नेता एक ही टेबल पर दिखे और एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराए भी. हालांकि उनके बीच कोई बातचीत नहीं हुई.
आखिरी दिन भी दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय मुलाकात की उम्मीद कम ही है.
भारत की ओर से कहा गया है कि पाकिस्तान ने द्विपक्षीय वार्ता के लिए कोई पहल नहीं की है. उधर, नवाज शरीफ का कहना है कि वह बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन पहले भारत को पहल करनी होगी.
सार्क की कमान भारत को सौंपी जाएगी
सार्क सम्मेलन के दौरान आज सार्क की कमान भारत को सौंपी जाएगी. यानी अब सार्क का अगला चेयरमैन भारत से होगा.हालांकि जिम्मेदारी के साथ भारत के सामने पाकिस्तान समेत कई चुनौतियां भी हैं.
औपचारिक रूप से सार्क की कमान भारत के हाथ आने के बाद ये भारत की जिम्मेदारी होगी कि इसे कैसे कामयाब बनाया जाए.
सार्क की कमान हाथ में आने के बाद भारत के लिए पाकिस्तान एक बड़ी चुनौती होगा.. इस बार पाकिस्तान अपना रुख दिखा चुका है.
पाकिस्तान के मसले पर भारत ने साफ संकेत दे दिया है कि सबको साथ लेकर चलने के पक्ष में हैं, लेकिन अगर कोई देश अड़ियल रुख अपनाता है तो भारत इंतजार नहीं करने वाला.
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