अमेरिका ने किया विशिष्ट परमाणु क्लबों में भारत के प्रवेश का समर्थन

Last Updated 01 Oct 2014 03:00:31 PM IST

अमेरिका ने विशिष्ट परमाणु क्लबों में नई दिल्ली के प्रवेश और सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के तौर पर उसकी दावेदारी का समर्थन किया है.


अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच दिवसीय अमेरिका यात्रा के समापन के अवसर पर और राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ उनकी शिखर बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में दोनों देशों ने आतंकवाद से मुकाबले में सहयोग करने का फैसला किया है.
    
उन्होंने संगठित और संयुक्त प्रयासों की जरूरत पर जोर दिया जिनमें आतंकियों की सुरक्षित पनाहगाहों एवं आपराधिक नेटवर्कों को नष्ट करना भी शामिल है.

इस सहयोग में अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, डी कंपनी और हक्कानी जैसे नेटवर्कों को मिलने वाले आर्थिक एवं हर तरह के सहयोग को रोकने के प्रयास शामिल होंगे.

उन्होंने एक बार फिर पाकिस्तान को नवंबर 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों के साजिशकर्ताओं को न्याय के कटघरे में लाने के लिए अपना आह्वान दोहराया.
    
वैश्विक परमाणु अप्रसार को मजबूती देने तथा निर्यात नियंत्रण व्यवस्था के लिए सहयोग बढ़ाने की आकांक्षा जताते हुए दोनों नेताओं ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी), प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम...एमटीसीआर), वासनार अरेंजमेंट और ऑस्ट्रेलिया ग्रुप में भारत के चरणबद्ध तरीके से प्रवेश के लिए लगातार कार्य करने की प्रतिबद्धता जताई.
    
राष्ट्रपति ने इस बात की पुष्टि की कि भारत एमटीसीआर की अहर्ताएं पूरी करता है और वह एनएसजी की सदस्यता के लिए तैयार है. उन्होंने इन चारों व्यवस्थाओं में भारत के शीघ्र आवेदन और उसके बाद सदस्यता का समर्थन किया.
    
परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारों के तौर पर अमेरिका और भारत ने आतंकियों के हाथ में परमाणु हथियार या उससे संबंधित सामग्री जाने का जोखिम कम करने की दिशा में की गई प्रगति का स्वागत किया और परमाणु सुरक्षा में राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर सुधार लाने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता भी जताई.
     
दोनों पक्षों ने एक बार फिर क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के संरक्षण में निहित अपने साझे हितों को दोहराया और नौवहन भूभागीय विवादों के कारण बढ़ते तनावों पर चिंता जाहिर की.
     
उन्होंने नौवहन सुरक्षा के संरक्षण और समुद्री स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए एवं पूरे क्षेत्र के ऊपर विशेषकर दक्षिणी चीनी सागर के ऊपर उड़ान सुनिश्चित करने पर जोर दिया.
      \"\"
हालांकि इस बयान में चीन का नाम तो नहीं लिया गया लेकिन इशारा उस समय स्पष्ट हो गया जब प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने सभी पक्षों से अपील करते हुए कहा कि वे अपने दावों के संबंध में धमकियों से बचें. चीन का अपने पड़ोसियों वियतनाम और फिलीपीन के साथ समुद्री विवाद है.
    
दोनों नेता अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के अनुरूप नौवहन स्वतंत्रता और वैध नौपरिवहन तथा वाणिज्यिक गतिविधि सुनिश्चित करने के लिए सहयोग बढ़ाने पर सहमत हो गए.
    
इस लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य से दोनों पक्षों ने भारत की नौसेना के लिए तकनीकी साझेदारी बढ़ाने पर भी विचार किया, जिसमें तकनीकी सहयोग के संभावित क्षेत्रों का आकलन शामिल है. वे अपने वर्तमान द्विपक्षीय अभ्यास मालाबार (एमएएलएबीएआर) का भी उन्नयन करने पर सहमत हुए.
   
राष्ट्रपति ओबामा ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में भारत की आवाज और मत (वोट) को बढ़ावा देने, संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और अवसंरचना वित्तपोषण की खातिर बहुपक्षीय विकास बैंकों की मदद से इनका रचनात्मक इस्तेमाल सुनिश्चित के लिए अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई.
   
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और इसमें भारत के स्थायी सदस्यता लिए दावे को समर्थन का अपना संकल्प भी दोहराया.
   
दोनों नेताओं ने मौजूदा साझेदारी को महत्व देते हुए उसमें नई स्फूर्ति भरने के लिए सहमति व्यक्त की. इसके साथ ही उन्होंने सहयोग और परस्पर लाभ के लिए नए क्षेत्रों की खोज पर भी सहमति जताई.
   
वर्ष 2001 के बाद से दोतरफा व्यापार में हुई पांच गुना (लगभग 100 अरब डॉलर) की वृद्धि का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ओबामा और प्रधानमंत्री मोदी ने व्यापार को पांच गुना और बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई.
   
राष्ट्रपति ओबामा और प्रधानमंत्री मोदी ने माना कि स्थायी, समावेशी और रोजगारपरक वृद्धि एवं विकास में अमेरिकी एवं भारतीय व्यवसायों को अहम भूमिका निभानी है.

नेताओं ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में जारी वर्तमान गतिरोध और इसके चलते बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव से जुड़ी अपनी चिंताओं पर चर्चा की. उन्होंने अपने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे डब्ल्यूटीओ के अन्य सदस्यों के साथ अगले कदमों पर तत्काल विचार विमर्श करें.
   
नेताओं ने भारत और अमेरिका में कारोबार के परिदृश्य को निवेश एवं उत्पादन के लिहाज से कंपनियों के लिए आकर्षक बनाने के उद्देश्य से ‘ट्रेड पॉलिसी फोरम’ के माध्यम से कार्य करने की प्रतिबद्धता जताई.
   
दोनों नेताओं ने आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन को प्रोत्साहन देने के लिए नवपरिवर्तन को बढ़ावा देने की जरूरत पर सहमति जताई. इन नेताओं ने एक सालाना उच्च-स्तरीय बौद्धिक संपदा (इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी) कार्यकारी समूह के गठन और ट्रेड पॉलिसी फोरम के तहत तकनीकी स्तर की बैठकों के लिए प्रतिबद्धता जताई.
   
उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग में भारतीय एवं अमेरिकी योगदान को भी रेखांकित किया. इसके साथ ही उन्होंने भारत और अमेरिका के व्यापार एवं निवेश संबंधों को मजबूत करने में आईटी से जुड़े सेवा उद्योग के योगदान का भी जिक्र किया.



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment