भारत-अमेरिका संबंधों के नए युग के आगाज का वक्त

Last Updated 30 Sep 2014 07:39:53 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने घोषणा की है कि दोनों देशों के बीच साझेदारी अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति सुनिश्चित करने में कारगर साबित होगी.


द वाशिंगटन पोस्ट में एक संयुक्त संपादकीय

भारत और अमेरिका के संबंधों को मजबूत, विश्वसनीय और स्थायी करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि दोनो देशों के रिश्तों की वास्तविक क्षमता को हकीकत का रूप दिया जाना अभी बाकी है.

उन्होंने यह भी कहा कि भारत में नयी सरकार का आना द्विपक्षीय संबंधों को विस्तृत और प्रगाढ़ बनाने का एक स्वाभाविक मौका है.

दोनों नेताओं ने अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार द वाशिंगटन पोस्ट में एक संयुक्त संपादकीय लिखकर भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी की आने वाले समय में रूपरेखा पेश की.

उन्होंने लिखा कि लोकतंत्र, स्वतंत्रता, विविधता और उद्यमशीलता के प्रति समर्पित भारत-अमेरिका साझा मूल्यों और हितों से बंधे हुए हैं.
       
दोनों नेताओं ने कहा कि वैश्विक साझेदार के रूप में भारत और अमेरिका अपनी आंतरिक सुरक्षा. आतंकवाद निरोधक कार्रवाई और कानून व्यवस्था के लिए खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान बढ़ाने तथा समुद्र में पोत परिवहन एवं विधिसम्मत वाणिज्यिक कार्यों की स्वतंत्रता के लिए मिलकर कार्य करेगें.

ओबामा ने भारत को तात्कालिक सहयोग के मुद्दों पर चर्चा करते हुए कहा कि उनका देश स्वच्छ भारत अभियान को समर्थन तथा देश भर में निजी क्षेत्र एवं सामाजिक संस्थाओं को प्रौद्योगिकी, विशेषज्ञता और नवाचार के लिये सहयोग देगा.

यह संयुक्त संपादकीय श्री मोदी के पिछले सप्ताह वाल स्ट्रीट जर्नल में आए एक लेख के बाद आया है. ऐसा पहली बार है कि किसी भारतीय नेता ने किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के साथ किसी अखबार में संयुक्त संपादकीय लिखा हो.

दोनों नेताओं ने स्वामी विवेकानंद के 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में दिए गए उद्बोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्तों का मूल दोनो देशों के नागरिको के न्याय एवं समानता की साझा आकांक्षाओं में निहित हैं.

दोनों नेताओं ने महात्मा गांधी के अहिंसा की शिक्षाओं के मार्टिन लूथर किंग की नस्लीय भेदभाव के खिलाफ संघर्ष पर प्रभाव और गांधी जी पर हेनरी डेविड थोरियू के असर की चर्चा की.

मोदी और ओबामा ने दोनों देशों के बीच संबंधों को द्विपक्षीय से कहीं अधिक सहयोग के संबंध बताया और केन्द्र एवं राज्यों से लेकर स्थानीय निकायों, सेना, निजी क्षेत्र और सामाजिक संगठनों के बीच तालमेल के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया जिन्होंने 2000 में पहली बार भारत और अमेरिका को नैसर्गिक साझेदार घोषित किया था.

दोनो नेताओे ने व्यापार, अंतरिक्ष, आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष, खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान, अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण एवं विकास, खाद्य सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, पोत परिवहन में स्वतंत्रता, महिला सशक्तीकरण, प्रौद्योगिकी, नवोन्मेषण, ऊर्जा सुरक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा आदि क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर बल दिया.

उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग को इबोला के प्रसार की रोकथाम, कैंसर के उपचार और तपेदिक, डेंगू और मलेरिया के उन्मूलन में कामयाबी पाने के लिए महत्वपूर्ण बताया.

उन्होंने कहा कि दोनों देशों की साझेदारी सिर्फ भारत और अमेरिका के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए ही नहीं है. यह हम सबको एक बेहतर भविष्य की ओर ले जाने के लिए है. यही 21वीं सदी में हमारी साझेदारी का मुख्य केन्द्र बिन्दु है.

दोनों नेताओं ने संपादकीय को पूरा करते हुए लिखा कि चलें साथ साथ.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने बताया कि इस संपादकीय को मोदी के वाशिंगटन पहुंचने के बाद अंतिम रूप दिया गया.

उन्होंने बताया कि दोनों प्रधानमंत्री डिजिटल कूटनीति में विश्वास रखते हैं और दोनों डिजिटल संपर्क में हैं. उन्होंने बताया कि दोनो नेता डिजिटल माध्यमों को संपर्क के लिए सबसे अच्छा मानते हैं.





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