आतंक के खिलाफ एकजुट हों : मोदी

Last Updated 30 Sep 2014 03:32:35 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काउंसिल आन फॉरेन रिलेशंस में दो शब्दों में कहा कि विश्व को मिलकर, कंधे से कंधा मिलाकर सबके कल्याण के लिए आतंकवाद से लड़ना होगा.


न्यूयार्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काउंसिल आन फॉरेन रिलेशंस में संबोधित करते हुए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काउंसिल आन फॉरेन रिलेशंस में अपने संबोधन में सोमवार को दो टूक शब्दों में कहा कि आतंकवाद से राजनीतिक नफा नुकसान की बिना पर नहीं लड़ा जा सकता. उन्होंने कहा कि इसे शिकस्त देने के लिए देश, जाति, धर्म से ऊपर उठकर मानवता के आधार पर पूरी दुनिया को एकजुट होना होगा.

भारत के मुसलमान अल-कायदा को फेल कर देंगे

प्रधानमंत्री ने इस बात पर खेद प्रकट किया कि दुनिया के बहुत से देश आतंकवाद के घिनौने रूप को कभी समझ नहीं पाये.

संबोधन के बाद वहां उपस्थित लोगों के प्रश्नों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के मुसलमान अल-कायदा को ‘फेल’ कर देंगे. उन्होंने कहा, ‘‘आपने देखा होगा कि भारत में आतंकवाद का जो स्वरूप है वह उसकी धरती से नहीं उपजा है बल्कि यह निर्यात किया गया है.’’

भारत में अल-कायदा की शाखाएं खोले जाने संबंधी उसके प्रमुख अल-जवाहिरी की घोषणा के संदर्भ में पूछे गये सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी का देश है और उसके नागरिक कभी आतंकवाद का साथ नहीं दे सकते.

गौरतलब है कि अमेरिका यात्रा से पहले वहां के एक समाचार चैनल को दिये इंटरव्यू में मोदी ने कहा था, ‘‘भारत के मुसलमान देश के लिए जिएंगे, देश के लिए मरेंगे और देश का कभी बुरा नहीं चाहेंगे.’’

उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद को अलग अलग तराजू से तौलने या किसी आतंकवाद को ‘गुड’ और किसी को ‘बैड’ बताने अथवा पसंद आने वाले देश में आतंकवाद को नहीं चलने देने और पसंद नहीं आने वाले देश में आतंकवाद चलने देने की मानसिकता के साथ इससे नहीं लड़ा जा सकता.’’

मोदी ने कहा कि 1993 में वह अमेरिका आये थे और यहां के अधिकारियों से उनकी बात भी हुई थी लेकिन तब वे इसे आतंकवाद नहीं बल्कि कानून और व्यवस्था की समस्या बताते थे.
उन्होंने कहा कि लेकिन बाद में जब मैं यहां (अमेरिका) आया तो वे मुझे समझा रहे थे कि आतंकवाद क्या होता है क्योंकि तब यहां 9-11 की घटना हो गयी थी यानि जब तक हमारे यहां बम नहीं गिरता, हम आतंकवाद को नहीं समझते.

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने 40 साल से आतंकवाद को भुगता है और दुनिया को आगाह किया कि आतंकवाद की कोई सीमा और देश नहीं होता. और यह कब कहां आ धमकेगा, किसी को पता नहीं होता. ऐसी विकृति की कल्पना नहीं की गयी होगी जब पत्रकारों का गला काटा जा रहा है.  उन्होंने ने कहा कि आतंकवाद से लड़ने के साधन चाहे जो भी हों, उससे लड़ने का रास्ता एक ही है और वह है मानवता में विश्वास.  उन्होंने कहा कि विश्व को मिलकर, कंधे से कंधा मिलाकर सबके कल्याण के लिए इस बुराई से लड़ना होगा.

पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर

पश्चिम एशिया का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र कभी इतनी तेजी से आगे बढ़ रहा था, लेकिन आज वहां कैसी हालत हो गयी है. आतंकवाद से लड़ने के लिए उन्होंने पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए कहा, ‘‘पर्यटन जोड़ता है और आतंकवाद बांटता है. इसलिए मैं पर्यटन को बढ़ावा देना चाहता हूं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया का कोई भी देश अपनी मर्जी से नहीं चल सकता. विश्व बदल चुका है और वैश्विक प्रभाव से मिलकर कंधे से कंधा मिलाकर सबको चलना होगा. कोई देश अब अलग-थलग नहीं रह सकता है.

उन्होंने कहा कि विचारधारा के बजाय दर्शन (फिलॉसफी) के आधार पर चलने वाले देश अधिक स्थिर और सतत रूप से चलते हैं जबकि विचारधारा के आधार पर चलने वाला देश कभी न कभी लुढ़क जाता है.

मोदी ने कहा कि भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के दर्शन को मानने वाला देश है जिसके तहत वह पूरे विश्व को अपना कुटुंब मानता है.

अफगानिस्तान से सैनिकों की जल्दबाजी में वापसी को लेकर अमेरिका को किया सतर्क

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ रात्रि भोज से कुछ घंटे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को निकालने में जल्दबाजी नहीं करने के प्रति अमेरिका को आज सतर्क किया. इस मामले में उन्होंने इराक में अमेरिका द्वारा की गयी गलती की ओर भी ध्यान दिलाया.

मोदी ने काउंसिल आन फारेन रिलेशंस में कहा कि भारत और अमेरिका ने हाल के वर्षों में अफगानिस्तान में बड़ी भूमिका निभायी है.

उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिका से कहा है कि अफगानिस्तान से उसके सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया धीमी होनी चाहिए ताकि तालिबान के उदय को रोका जा सके.

मोदी ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि अफगानिस्तान जहां हाल में राष्ट्रपति चुनाव हुए हैं और नयी सरकार गठित हुई है, में लोकतांत्रिक ढंग से विकास हो.’’

मोदी ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी की प्रक्रि या बहुत धीमी होनी चाहिए. अफगानिस्तान को उसके पैरों पर खड़े होने देना चाहिए और तभी तालिबान के उदय को वह रोक सकता है.’’

यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस बात से संतुष्ट है कि राष्ट्रपति ओबामा ने भारत के साथ संबंधों को ‘भागीदारी वाले’ कहकर उल्लेख किया है, मोदी ने कहा, ‘‘हर बात पर संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता. यहां तक कि पति एवं पत्नी भी एक दूसरे से 100 प्रतिशत संतुष्ट नहीं रहते हैं. लेकिन इसके बावजूद दीर्घकालिक नाता होता है.’’

भारत-चीन सीमा विवाद बातचीत की जरिए हल करेंगे

मोदी ने भारत एवं चीन के बीच सीमा मुद्दे को लेकर किसी भी पंचाट एवं मध्यस्थता की संभावना से इंकार किया. प्रधानमंत्री ने एक प्रश्न पूछने वाले से कहा कि भारत इस तरह की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि दोनों देश सीधे बात कर रहे हैं और वे बातचीत के जरिये मुद्दों का समाधान करने में सक्षम हैं.

अपने संबोधन में उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि भारत अपने सभी पड़ोसियों के साथ मित्रतापूर्ण संबंध कायम करना चाहता है. उन्होंने कहा कि उनके शपथ ग्रहण समारोह में सभी दक्षेस नेताओं को आमंत्रित किया गया. इसी प्रक्रिया के तहत उन्होंने नेपाल एवं भूटान का भी दौरा किया.

कई लोगों की जान लीलने वाली और भारी तबाही करने वाली जम्मू कश्मीर में आयी बाढ़ का जिक्र  करते हुए प्रधानमंत्री कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर में भी भारी नुकसान हुआ है. उन्होंने सीमा पार प्रभावित हुए लोगों को मदद करने की भारत की इच्छा का इजहार किया था.

प्रधानमंत्री ने इस अवसर का उपयोग अमेरिकी निवेशक को आकर्षित करने के लिए भी किया. उन्होंने वादा किया कि भारत में सरल एवं प्रभावी शासन के साथ राजनीतिक स्थिरता का दौर रहेगा.

उन्होंने कहा कि प्रकियाओं को सरल बनाने के लिए पहले ही कई कदम उठा लिये गये हैं और उनकी सरकार ने श्रम सुधार की पहल की है और कौशल विकास के लिए योजनाएं शुरू की हैं.
विश्व व्यापार संगठन करार के बारे में भारत के रूख पर उन्होंने दावा किया कि खाद्य सुरक्षा एवं व्यापार सुविधा पर समझौते साथ साथ होने चाहिए.

विकास एवं सुशासन की वकालत की

अपने संबोधन में मोदी ने तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति के लिए अपनी पूर्व की सरकारों की आलोचना की और विकास एवं सुशासन की वकालत की. उन्होंने कहा कि वह नव मध्यम वर्ग के लिए अवसर पैदा करना चाहते हैं जो गरीबी की रेखा से ऊपर उठे हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो गरीबी रेखा से बाहर आए हैं लेकिन मध्यम वर्ग में स्थान नहीं बना पाये हैं.

देश के विकास का खाका पेश करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम अपने नव मध्यम वर्ग को नजरंदाज करते हैं, तो वे फिर गरीबी में डूब जायेंगे और तब गरीबों की गरीबी से बाहर आने की उम्मीद समाप्त हो जायेगी.’’

भारतीय राजनीति की दिशा में बदलाव लाने का श्रेय युवाओं को देते हुए मोदी ने कहा कि सरकार बदलने के बाद देश में नयी आकांक्षाओं की लहर सामने आई क्योंकि पूर्व में युवाओं को केवल निराशा ही दिखाई पडती थी.

उन्होंने कहा, ‘‘पहले हमारे देश में छोटे छोटे समूहों को खुश रखने की प्रवृत्ति थी. छोटे छोटे समूहों में बांटो और अपना वोट बैंक बनाये रखो. यह स्थिति अब बदल गई है.’’
मोदी ने कहा, ‘‘ भारत में युवा पीढ़ी की सोच बदली है . देश की युवा पीढ़ी टुकड़ों में बंटकर नहीं रहना चाहती है. यह बदलाव युवाओं के कारण आया है.’’

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में विकास और सुशासन के एजेंडा पर लड़ा था जिन पर वर्तमान राजनीतिक स्थिति में आगे बढना कठिन था जहां वोट बैंक की राजनीति हावी थी. उन्होंने कहा कि वे भारत की सभी समस्याओं का एकमात्र हल हैं.

नव मध्यम वर्ग के तीव विकास के लिए अवसर सृजित करने की इच्छा व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार की वृद्धि हासिल करने के लिए कृषि, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के बीच संतुलन स्थापित करने की योजना है.



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment