परमाणु समझौता होने पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ने को तैयार ईरान
ईरान ने कहा है कि अगर विश्व शाक्तिओं के साथ परमाणु समझौता हो जाता है तो वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग करने को तैयार है.
ईरान के राष्ट्रपति हासन रुहानी (फाइल) |
संयुक्त राष्ट्र महासभा की सालाना बैठक से पहले राष्ट्रपति हासन रुहानी ने कहा कि उनका न्यूयार्क में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात का कोई इरादा नहीं है.
रुहानी ने कहा कि बिना किसी आशंका के परमाणु समझौता हमारी ओर से सहयोग का विस्तार करेगा. हम कई क्षेत्रों जैसे क्षेत्रीय शांति, स्थायित्व और आतंकवाद के विरूद्ध लडाई में सहयोग देने में समर्थ हैं.
इस सप्ताह न्यूयार्क में अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और ईरान के विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक होनी है.
विश्व शक्तिओं और ईरान के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर जारी वार्ता से आगामी दिनों में किसी समझौते पर पहुंचना अभी असंभव सा बना हुआ है. हालांकि अधिकारियों ने कहा कि समझौते से भविष्य में ईरान को यूरेनियम संवर्धन में फायदा होगा.
विश्व शाक्तिओं ने लम्बे समय के समझौते के लिए 24 नवम्बर तक की समय सीमा दे रखी है यदि इस तारीख तक कोई समझौता हो जाता है और ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को रोकने पर राजी हो जाता है तो उस पर लगे प्रतिबंधों को वापस ले लिया जाएगा.
ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि वार्ता में अभी कई चीजें साफ होना शेष है और उसके बाद ही हम तय कर सकेंगे कि कोई अंतिम समझौता होना संभव है या नहीं. हालांकि दोनों पक्षों को इस बात का अंदाजा है कि वर्तमान स्थिति किसी के लिए भी फायदेमंद नहीं है.
उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ उनके संबंध में मतभेदों के बावजूद सुधार आया है और यदि कोई समझौता नहीं हो पाता है तो भी वार्ता प्रक्रिया से निश्चित रूप से संबंधों में बदलाव आया है. ईरानी ने कहा कि इसका यह अर्थ नहीं कि हम वापस पुराने दौर में लौट जाएंगे तो भी सहयोग के रास्ते बनेंगे.
ईरान के अधिकारियों ने पिछले दिनों कहा था कि ईरान पश्चिमी देशों के साथ मिलकर इस्लामिक इस्टेट आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई को तैयार है. लेकिन बदले में वह अपने परमाणु कार्यक्रम में रियायत चाहता है. इन आतंकवादियों ने इराक और सीरिया के बड़े हिस्से पर नियंत्रण किया हुआ है.
उधर अमेरिका ने सीरिया में इन आतंकवादियों के ठिकानों पर बम बरसाने शुरू करने से कुछ घंटे पहले साफ कर दिया कि वह ईरान की सहायता लेने को तैयार नहीं है यदि इसे परमाणु कार्यक्रम पर वार्ता से जोड़ा जाता है.
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