सुरक्षा परिषद में सुधार, आतंकवाद, शांति बहाली पर होगा भारत का जोर

Last Updated 23 Sep 2014 03:38:29 PM IST

संयुक्त राष्ट्र महासभा के आगामी सत्र में भारत जिन मुद्दों पर जोर देगा उनमें सुरक्षा परिषद में सुधार, आतंकवाद और शांति बहाली प्रमुख हैं.


संयुक्त राष्ट्र (फाइल)

संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यीय निकाय के 69वें सत्र में भारत जिन क्षेत्रों पर ध्यान आकर्षित करेगा उनका जिक्र करते हुए विश्व निकाय में भारतीय राजदूत अशोक मुखर्जी ने कहा कि उनका प्रतिनिधिमंडल वर्ष 2005 में अधूरे रह गए काम पर जोर देगा, जो कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शीघ्र सुधार है.

उन्होंने कहा कि बातचीत के पिछले सात दौर से संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को सुरक्षा परिषद में शीघ्र सुधार के संबंध में अब तक हुई बातचीत की विषय वस्तु के आधार पर वार्ता के लिए पर्याप्त सामग्री मिल गई है.
   
मुखर्जी ने 24 सितंबर को शुरू होने जा रही उच्च स्तरीय आम बहस से पूर्व कहा कि भारत की मांग है कि नवंबर में जब अंतरसरकारी वार्ताओं का नया दौर पुन: शुरू हो तो यह अब तक हुई बातचीत की विषय वस्तु के आधार पर होना चाहिए जिससे सभी प्रतिनिधिमंडलों को एक रूपरेखा मिल जाएगी जिसमें वे अपना लचीलापन दिखा सकते हैं तथा विचारों का आदान प्रदान कर सकते हैं.
   
मुखर्जी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर अंतरसरकारी वार्ताओं में विषय वस्तु के न होने के कारण गतिरोध बना हुआ है. भारत अंतरसरकारी वार्ताओं में बातचीत की विषय वस्तु आधारित प्रक्रिया पर जोर देगा जिसका 11वां दौर महासभा के 69वें सत्र में शुरू होगा.

उन्होंने कहा कि विषय वस्तु के बिना हमारे लिए इस विषय पर कोई रचनात्मक रूख जाहिर करना संभव नहीं होगा.
   
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे.

आतंकवाद के मुद्दे पर भारत अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधिपत्र के मसौदे को अंतिम रूप देने की दिशा में प्रगति के लिए प्रयासरत रहेगा.
   
मुखर्जी ने कहा कि भारत कोशिश करेगा कि जिन आतंकवादियों से उसकी सुरक्षा को खतरा है उन्हें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अलकायदा और तालिबान प्रतिबंध समिति सूची में शामिल करे. सुरक्षा परिषद आतंकवाद से मुकाबले पर 25 सितंबर को एक प्रस्ताव अंगीकार करेगी.

उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद से पीड़ित देशों में से एक है और हमें इस बात की प्रसन्नता है कि शांति और स्थिरता पर विदेशी आतंकवादियों के प्रभाव को संयुक्त राष्ट्र की ओर से विशेष महत्व दिया जा रहा है.

मुखर्जी ने कहा कि शांतिरक्षण एक और क्षेत्र है जिस पर भारत सक्रियता से जोर देगा.
   
संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षण मिशन में भारत सबसे बड़ा योगदान देता है जिसके 170,000 भारतीय सैनिक विश्व निकाय के 43 मिशनों में भागीदार रहे हैं.
   
मुखर्जी ने कहा कि भारतीय सैनिक वैश्विक संकट के मुख्य स्थानों में मौजूद हैं. हमारा दृढ़तापूर्वक मानना है कि जब शांतिरक्षण के लिए जनादेश तैयार किया जाए तो सुरक्षा परिषद सैनिकों का योगदान करने वाले, भारत जैसे देश की राय पर गौर करे.

उन्होंने कहा कि शांतिरक्षण दक्षिण एशियाई क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां ऐसे क्षेत्र हैं जहां व्यापक राजनीतिक और सामाजिक उथलपुथल हो रही है.

उन्होंने कहा कि दायित्व के निर्वाह के दौरान कई भारतीय शांतिरक्षक मारे गए हैं. भारत ने सुरक्षा परिषद से उन लोगों के खिलाफ जांच करने और अभियोजन के लिए कदम उठाने को कहा था जो शांतिरक्षकों को निशाना बनाते हैं.
   
अगले साल यानी 2015 में संयुक्त राष्ट्र का 70 वां सालाना सम्मेलन होने जा रहा है जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सत्र एक तरह से तैयारी सत्र होगा. सालाना सम्मेलन पर भी भारत ध्यान केंद्रित करेगा.



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