जापान भारत में करेगा 34 अरब डॉलर का निवेश, बुलेट ट्रेन का भी रास्ता साफ

Last Updated 01 Sep 2014 03:48:09 PM IST

जापान यात्रा पर गए मोदी को बड़ी सफलता मिली है. जापानी पीएम शिंजो आबे ने भारत को दिल के करीब बताते हुए बुलेट ट्रेन समेत कई क्षेत्रों में भरपूर मदद देने का एलान किया.

बुलेट ट्रेन समेत कई क्षेत्रों में भारत को सहयोग देगा जापान (फाइल फोटो)

जापानी पीएम शिंजो आबे ने कहा कि अगले पांच वर्षों में 3.5 खरब येन का निवेश भारत में किया जाएगा.

यह राशि नए स्मार्ट शहरों के विकास और गंगा और अन्य नदियों की सफाई, कृषि, जल सुरक्षा, परिवहन और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में इस्तेमाल की जायेगी.

गंगा सफाई के अलावा प्रधानमंत्री की एक अन्य प्रिय योजना बुलेट ट्रेन के बारे में आबे ने कहा कि वह इसके लिये वित्तीय, तकनीकी और संचालन संबंधी मदद के लिये तैयार हैं. साथ ही भारत को पड़ोसी देशों से जोड़ने में भी जापान सहयोग करेगा.

आबे ने भारत में शिंकनसेन प्रणाली की शुरुआत के लिये जापान की ओर से वित्तीय, तकनीकी और संचालन संबंधी समर्थन देने की पेशकश की. प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी सराहना की.

घोषणापत्र के अनुसार दोनों प्रधानमंत्रियों ने अहमदाबाद-मुंबई के बीच तेज गति की बुलेट ट्रेन प्रणाली के संयुक्त व्यवहार्यता अध्ययन के जल्द पूरा होने की उम्मीद जताई.
    
बातचीत के बाद आबे ने मोदी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमने भारत और इसके पड़ोसी देशों के बीच सांकेतिक तौर पर बुलेट ट्रेन और कनेक्टिविटी पर भी सहमति जताई है’’.

भारत-जापान के बीच छह समझौते पर हस्ताक्षर

परमाणु सहयोग पर चर्चा करते हुए आबे ने कहा कि इस विषय पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्पष्ट बातचीत हुई है और इस दिशा में दोनों देश आगे बढ़ेंगे.

आबे ने कहा हमने और पीएम मोदी ने अपने-अपने अधिकारियों को कहा है कि वे बातचीत के मसौदे को तेजी से आगे बढ़ाए ताकि न्यूक्लियर सहयोग आगे बढ़ सके.

आबे ने भारत और जापान के संबंधों की प्राचीनता का जिक्र किया और बौद्ध धर्म की भी चर्चा की जो भारत से जापान पहुंचा.

आबे ने कहा कि द्विपक्षीय बातचीत में वैश्विक स्थिति पर भी चर्चा की गई. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर भी दोनों नेताओं ने चर्चा की है.

आबे ने कहा कि वह भविष्य में मोदी के साथ काम करने की इच्छा रखते हैं.

जापान ने हटाया व्यापार पर प्रतिबंध

जापान ने एचएएल व पांच अन्य भारतीय इकाइयों के साथ सहयोग पर 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद से लगे प्रतिबंध को हटा लिया है.

मोदी ने कहा, ‘‘जापान ने कुछ इकाइयों से प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है’’.
   
सूत्रों ने बाद में बताया कि हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लि. सहित 6 इकाइयों से प्रतिबंध हटाया गया है. हालांकि, 4 अन्य इकाइयों पर प्रतिबंध जारी रहेगा.
 
प्रतिबंध हटने के बाद ये इकाइयां जापानी कंपनियों के साथ प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण सहित अन्य सहयोग बढ़ा सकेंगी.

बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने रक्षा क्षेत्र में सहमति के ज्ञापन पर भी दस्तखत किए.

दोनों देशों में रक्षा व सुरक्षा क्षेत्र में संयुक्त सचिव स्तर की त्रिपक्षीय वार्ता का उन्नयन कर इसे मंत्रिस्तरीय करने पर सहमति बनी है. इस वार्ता में अमेरिका भी शामिल है.

शिखर सम्मेलन से जगी कई उम्मीदें: मोदी

नरेंद्र मोदी ने भी आबे की तारीफ की और कहा कि पीएम बनने के बाद उन्होंने सबसे जापान ही आने का फैसला किया था. मोदी ने कहा कि जापान में जिस तरह से उनका स्वागत हुआ है उससे वह अभिभूत हैं.

मोदी ने कहा कि शिखर सम्मेलन के बाद जापान के साथ रिश्तों में नए उत्साह का संचार हुआ है और नई उम्मीदें जगी हैं.

उन्होंने कहा कि रणनीतिक और वैश्विक साझीदारी को विशेष महत्व देने का फैसला किया गया है.

मोदी ने कहा, "भारत और जापान की आध्यात्मिक साझीदारी कालातीत है. मेरी दृष्टि से ये शब्दों में विकास नहीं है. हम दोनों देश इस विषय में अत्यंत गंभीर हैं और मुझे विश्वास है कि संबंध का नया रूप अधिक लाभकारी रहेगा. भारत के विकास और परिवर्तन में जापान की और अधिक भूमिका रहने वाली है."

दोनों प्रधानमंत्रियों ने यह भी तय किया कि भारत में अगले पांच सालों में जापान के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को दोगुना कर लिया जाएगा.

साथ ही बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं के लिए इंडिया इंफ्रास्ट्रचर फाइनेंस कंपनी को ऋण और ओडीए के रूप में 50 अरब येन दिए जाएंगे.
 

मोदी ने आबे के साथ की 'चाय पर चर्चा'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शिंजो आबे ने अपने देश की परंपरा के अनुसार विशेष जापानी 'चाय' पिलाई.

आबे ने अपने देश में 16वीं शताब्दी से प्रचलित 'चानायू' परंपरा के अनुरूप यात्रा पर आये नेता के प्रति स्नेह दिखलाते हुए उन्हें चाय पिलाई.
    
मोदी ने जापानी परंपरा के अनुसार अपने घुटनों को मोड़कर बैठे और विशेष प्याले में चाय पी. इस दौरान आबे उनके बगल में बैठे थे.
     
दोनों नेताओं ने जापान की ग्रीन टी के साथ टी केक भी लिये.
     
आबे ने इसके बाद अपने पितामह नोबुसुके किशी की प्रधानमंत्री के रूप में 1950 में भारत यात्रा के दौरान बनाई गई चाय का जिक्र  किया.
     
पारंपरिक जापानी चाय बुरादे वाली ग्रीन टी होती है और बर्तनों को वामोनो कहा जाता है. 'चाय पर चर्चा' से पहले मोदी और आबे के बीच आधिकारिक वार्ता हुई थी.



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