जरदारी को प्रताड़ित करने के आरोपियों को विदेश जाने की इजाजत
पाकिस्तानी सरकार ने उन दो पूर्व अधिकारियों के विदेश जाने पर पाबंदी हटा ली है जिन पर पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को प्रताड़ित करने का आरोप है.
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी (फाइल फोटो) |
सिंध पुलिस के इन दो पूर्व शीर्ष अधिकारियों के नाम निकास नियंत्रण सूची (ईसीएल) से निकाल दिये गए गए हैं.
समाचार पत्र ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने शनिवार को बताया कि सिंध के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक राणा मकबूल और उप पुलिस महानिरीक्षक फारूक अमीन कुरैशी को ईसीएल सूची से निकालने से दोनों विदेश यात्रा कर सकेंगे.
दोनों पूर्व पुलिस अधिकारियों पर उस समय हुई ‘‘कठोर पूछताछ’’ के दौरान जरदारी की जीभ चोटिल करने का आरोप है जब नवाज शरीफ के दूसरे कार्यकाल के दौरान उन्हें जेल में बंद किया गया था. मकबूल ने स्वयं को जेल में चोटिल करने के लिए जरदारी के खिलाफ एक मामला दर्ज कराया है.
समाचार पत्र ने कहा कि परवेज मुशर्रफ ने जब 1999 में नवाज सरकार का तख्तापलट किया था तब तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक मकबूल को शरीफ और उनके सहयोगियों के साथ विमान अपहरण मामले में फंसाया गया था.
जरदारी जब 2008 में राष्ट्रपति बने तब उनकी जीभ चोटिल करने का मामला सक्रिय हुआ लेकिन मकबूल और कुरैशी पीएमएल-एन की छत्रछाया में पंजाब में रहे और अपनी जान को खतरा बताते हुए अदालत में किसी भी सुनवायी के लिए आने से इनकार कर दिया.
पीपीपी सरकार के गृह मंत्री रहमान मलिक ने उन दोनों व्यक्तियों के नाम ईसीएल पर डाले थे. अब पीएमएल-एन सरकार के गृह मंत्री चौधरी निसार ने दोनों के नाम ईसीएल से हटाने के निर्देश दिये.
मामले में प्राथमिकी वर्ष 2005 में दर्ज की गई थी. जरदारी ने पुलिस में दी गई अर्जी में कहा था कि इन लोगों ने ‘‘सरकार के इशारे पर मुझे प्रताड़ित किया और मेरी हत्या करने का प्रयास किया.’’
जरदारी ने कहा था कि 1999 में उन्हें जेल से एक पूछताछ स्थल ले जाया गया था जहां उन्हें हत्या के इरादे से हिरासत में प्रताड़ित किया गया. उन्होंने कहा कि इस दौरान उनकी जीभ चोटिल कर दी गई.
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