समाधान क्या है

Last Updated 09 Sep 2020 12:25:01 AM IST

हम पृथ्वी को ‘धरती मां’ कहते हैं। क्यां इसका मतलब है कि धरती पर सारा अपराध रु क जाएगा? नहीं।


सद्गुरु

अलग-अलग तरह के अपराध होते हैं। स्त्रियों पर यौन हमले बहुत आम हैं। इसके कई पहलू हैं। हम गुस्सें में आकर बोल सकते, ‘ठीक है, उन्हें फांसी दे दो।’ अगर आप बलात्कार की सजा के तौर पर फांसी को लाएंगे तो आपको समझना चाहिए कि बलात्कार के मामले में एकमात्र गवाह लगभग हमेशा पीड़िता होती है।

अगर आप एक बलात्कारी को इस बात की गारंटी दें कि बलात्कार करके पकड़े जाने पर तुम्हें फांसी लगनी तय है, तो आपके ख्याल से वह क्या करेगा? वह उस एकमात्र गवाह को रास्ते से हटा देगा। तो कुछ कहने से पहले हमें सतर्क रहना चाहिए कि हम क्या कह रहे हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि हम उनका समर्थन कर रहे हैं। सवाल बस यह है कि आपको समाधान चाहिए या कंगारू कोर्ट: ‘हर किसी को फांसी पर लटका दो।’

हमें देखना चाहिए कि यह हो क्यों रहा है। पहली चीज यह है कि एक संस्कृति के रूप में भारत के लिए यह पहली पीढ़ी है, जिसमें स्त्रियां वास्तव में सड़क पर निकल रही हैं, पुरुषों के साथ चल रही हैं और उनके करीब रह कर काम कर रही हैं। लोगों को इसकी आदत नहीं है। साथ ही लाखों युवा गांवों से शहरों में आ रहे हैं। उनके गांव में उनके लिए स्त्री का मतलब उनकी मां, उनकी मौसी, बुआ या दादी होती थी। अब वे शहर आकर युवा लड़कियों को सड़क पर चलते देखते हैं। यह उनके लिए बहुत नया है। इंसानों में सेक्शुअलिटी या यौनिकता होती है।

पंद्रह से पच्चीस की उम्र के बीच हार्मोन का असर अधिकतम होता है। अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में खेल, कला, संगीत, शिक्षा जैसी चीजों में बुद्धि के विकास, और खुद को व्यक्त करने के दूसरे तरीकों में अनुशासित होता है, तो खुद को व्यस्त रखने के लिए बहुत सारी चीजें होती हैं। अगर आपको व्यस्त रखने के लिए कुछ नहीं है, सिर्फ  आपके हर्मोन आपके भीतर उछल रहे हैं फिर उसके बाद आप अपने गांव से शहर आते हैं और अचानक युवा लड़कियों को देखते हैं। आदमी पागल हो जाता है। अब वह अकेले शहर आता है। एक कमरे में दस लड़कों के साथ रहता है, दिन-रात एक बेकार और अमानवीय माहौल में काम करता है। वह बंदी शिविर की तरह होता है।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment