मृत्यु

Last Updated 20 Mar 2020 04:21:02 AM IST

समय का अर्थ कई लोगों के लिए कई प्रकार का होता है। बच्चे और वयस्क में जो अंतर है-बच्चा एक भरा पूरा, उत्साही जीवन है तो वयस्क गंभीर जीवन है- वो अंतर समय के बोझ का ही है।


जग्गी वासुदेव

समय बोझ इसलिए बन जाता है कि हम जानते ही नहीं कि अपनी यादों को, अपनी स्मृतियों को किस तरह रखें? एक और वर्ष 2019 बीत गया है-कुछ लोग इसे एक और साल की तरह देखेंगे, जिसे उन्हें अपनी पीठ पर बोझ की तरह ढोना है।

पर एक साल क्या है, बस समय का एक माप ही तो है और वास्तविकता यही है कि साल पर साल बीते जा रहे हैं। एक साल बीत गया है, इसका अर्थ है कि अब आप को एक साल कम ढोना है। तो क्या ये आप को कुछ और हल्का नहीं बना देता? आप नये वर्ष का उत्सव मना सकते हैं अथवा इस बात का उत्सव भी मना सकते हैं कि एक साल खत्म हो गया है और अपने जीवन में अब आप को एक साल कम संभालना है। मैं चाहूंगा कि आप अपने जीवन को भागीदारी की तीव्रता के संदर्भ में मापें। क्या 2019, जीवन के साथ शामिल होने का वर्ष था? अथवा, क्या उलझनों, जटिलताओं, झंझटों का साल था?

यही है जो आप को मापना है, क्योंकि मूल रूप से आप सिर्फ  जीवन और मृत्यु, दो बातों से ही संबद्ध हैं, आप को सिर्फ  इनकी ही चिंता होनी चाहिए। बाकी सब आकस्मिक है। अंग्रेजी शब्द ‘डेथ’ (मृत्यु) एक बहुत ही नकारात्मक शब्द बन गया है। आप जिस चीज को भयानक या खराब समझते हैं, उसे गले से नहीं लगा सकते, हैं कि नहीं? आप को अपने मन में यह संदर्भ बदल देना चाहिए। आप को सही संदर्भ में जानना चाहिए कि मृत्यु क्या है? ये कोई जीवन का विलोम, विपरीत नहीं है। जीवन में जो हो रहा है, वो मृत्यु के कारण ही हो रहा है। सही संदर्भ समझ लें तो आप दोनों को गले लगा सकते हैं। इस सृष्टि अथवा इस पृथ्वी ग्रह के इतिहास में आप बहुत कम समय के लिए जीवित होते हैं। बाकी के समय में आप मृत ही हैं।

चूंकि आप लंबे समय तक मृत रहे हैं, इसीलिए अभी चमक रहे हैं। यह चमक इसीलिए  संभव है कि आप पुन: एक लंबे समय के लिए मृत हो जाएंगे। ‘एक बनाम दूसरा’ का विचार मूर्खतापूर्ण है । मूल रूप से जीवन के सभी स्तरों पर-चाहे पुरु ष और स्त्री हों, जीवन और मृत्यु हों, अंधकार एवं प्रकाश हों या ध्वनि तथा मौन हों-एक के बिना दूसरा संभव नहीं है। वे एक दूसरे के पूरक हैं, विपरीत नहीं हैं।



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