नशाखोरी
आज देश के युवाओं में नशे की लत तेजी से बढ़ रही है। पंजाब के युवाओं की सेना में एक गौरवशाली परंपरा रही है, मगर अब वहां होने वाली भर्तियों में युवा चक्कर लगाने के दौरान गश खाकर गिर रहे हैं।
आचार्य रजनीश ओशो |
कई राज्यों में स्कूली बच्चों द्वारा ब्रेड के साथ आयोडेक्स व कुछ दवाइयों का नशे के तौर पर इस्तेमाल की घटनाएं बहुत हो रही हैं। पारंपरिक रूप से नशाखोरी को घरेलू हिंसा के परिप्रेक्ष्य में ही देखा जाता रहा है, मगर अब यह राष्ट्रीय चिंता का विषय बनती जा रही है। आखिर, लोग नशे के आदी क्यों हो जाते हैं? असली कारण कहीं अधिक गहरा है। हमारा ध्यान इस तरफ गया ही नहीं है कि कोई भी आदत मूर्च्छा के कारण पैदा होती है। आदत अच्छी हो, तो भी मूर्च्छा तो निश्चय ही नुकसानदेह है।
मोटे तौर पर हमारी आदतें तीन प्रकार की हैं :-पहली श्रेणी में आप दांतों से नाखून या चुइंगम चबाने जैसी आदतों को रख सकते हैं। ऐसी आदतें असामाजिक और अशोभनीय तो हैं, किंतु न्यूट्रल होती हैं। न कोई लाभ, न नुकसान। दूसरे प्रकार की आदतें वे हैं जिनका शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जैसे-सिगरेट, तंबाकू, गुटखे, अधिक भोजन, शराब, मादक पदार्थ आदि। तीसरी आदतें वे हैं, जो हमारे शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक सबलता और भावनाओं की मजबूती में उपयोगी हैं।
जैसे, जिसे सुबह उठने की आदत हो, उसके पास दिन में काफी समय होगा कुछ भी करने के लिए। जो देर से जगेगा, उसके पास चूंकि समय कम होगा, लिहाजा उसके हर काम में जल्दबाजी और फिर नर्वसनैस होगी। ऐसे ही, जिसका खाना हल्का-फुल्का होगा, उसका स्वास्थ्य उस व्यक्ति की तुलना में निश्चय ही अच्छा होगा जो तला, मिर्च-मसालेयुक्त, गरिष्ठ भोजन करता है। आदत कोई भी हो, उसकी जो बुनियाद है, वह है-एक प्रकार की मूर्च्छा, प्रमाद।
व्यक्ति एक प्रकार की बेहोशी में होता है और वही-वही किए चला जाता है। वह आदत कब और कैसे शुरू हुई इसका ख्याल भी नहीं रहता। अगर यही बात ख्याल में आ जाए तो वह आदत छूटनी शुरू हो सकती है। किसी भी प्रकार के नशे से मुक्त होने के लिए यह गौर करना जरूरी है कि आपके जीवन में ऐसी कौन सी आदत है जो आपके व्यक्तित्व, शरीर या मन को नुकसान पहुंचा रही है। संभव है, वह कहीं दूर, बचपन की कोई चीज हो, जिसे आप भूल भी चुके हों। इसलिए, यहां समझना उपयोगी होगा कि आदतें शुरू कैसे होती हैं।
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