प्रतिद्वंद्वी
अन्ना विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, गिंडी (सीईजी) में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जग्गी वासुदेव |
यहां के सुविख्यात विद्यार्थियों में भारत के महान वैज्ञानिक एवं पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भी शामिल हैं। मैंने दोस्ती के विषय पर उठे एक सवाल का जवाब दिया। आपको दोस्त से जीतने की जरूरत नहीं है, वहां तो सब कुछ चलता है। वैसे भी, अगर आप किसी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ एक गंभीर खेल प्रतियोगिता की बात कर रहे हैं, तो आपको समझना चाहिए कि आपको उसके खेलने के तरीके के बारे में जितना ज्यादा पता होगा, उस व्यक्ति को हराना आपके लिए उतना ही आसान होगा। तो, प्रतिद्वंद्वी कभी भी अजनबी नहीं होना चाहिए।
आज सभी खिलाड़ी सैकड़ों घंटे बिताते हैं..अपने प्रतिद्वंद्वियों के वीडियो देखने में। यह बात 1998-99 की है..आंद्रे अगासी और बोरिस बेकर ने तीन गेम खेले। सभी में बोरिस बेकर ने आंद्रे अगासी को हरा दिया। बोरिस बेकर को ‘बूम-बूम’ कहा जाता था, उनकी सर्विस के कारण। उनकी सर्विस इतनी शक्तिशाली थी कि कोई भी गेंद नहीं लौटा पाता था। तो.. अगासी ने वापस जाकर सैकड़ों घंटे बेकर की सर्विस को ध्यान से देखने में लगाए, फिर उन्हें समझ आ गया।
अगले तीन सालों में दोनों के बीच ग्यारह गेम हुए और उन्होंने दस में उन्हें हरा दिया। मैं आपको बताता हूं कि क्या हुआ था। बोरिस बेकर के रिटायर होने के बाद वे दोनों जर्मनी में मिले और आंद्रे अगासी ने सोचा कि अब मैं इसे बता सकता हूं। यह चीज बोरिस बेकर को बहुत परेशान कर रही थी, कोई उन्हें हरा नहीं पाता मगर यह आदमी हावी हो रहा था। तो आंद्रे आगासी ने उन्हें बताया, ‘मैंने लगातार आपके वीडियो देखे, और मैंने पाया कि जब भी आप बाउंड्री लाइन की ओर सर्व करते हैं, आपकी जीभ बाई ओर जाती है। जब आप सीधा सर्व करते हैं, वह सीधी निकलती है।
मैं ध्यान से देखता था और जिस भी दिशा में आपकी जीभ निकलती थी, मैं पहले से उधर जाकर गेंद खेल लेता था।’ बोरिस बेकर कुर्सी से गिरते-गिरते बचे। उन्हें यकीन ही नहीं हुआ। वह बोले, ‘कई बार मैंने मैच के बाद घर जाकर अपनी पत्नी से कहा है कि, ‘लगता है, वह मेरा दिमाग पढ़ रहा है!’ मगर तुम मेरी जीभ पढ़ रहे थे।’ तो प्रतिद्वंद्वी कभी आपके लिए अजनबी नहीं होना चाहिए। आपको उसे परिचित बना लेना चाहिए। वो खुद को जितना जानता है, आपको उसे उससे बेहतर जानना होगा।
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