संगीत

Last Updated 15 Mar 2017 03:14:06 AM IST

रीढ़ की हड्डी के आधार पर, जहां से गुदा द्वार का आरंभ होता है, पहला चक्र वहीं स्थित होता है, इस चक्र को मूलाधार चक्र कहते हैं.


श्री श्री रविशंकर

इसके ठीक ऊपर अगला चक्र है, यह स्वाधिष्ठान चक्र कहलाता है. नाभि के ठीक ऊपर तीसरा चक्र है, यह मणिपुर चक्र कहलाता है.

छाती के मध्य चौथा चक्र अर्थात ‘अनाहत चक्र’ स्थित होता है. इसके बाद गले में विशुद्धि चक्र होता है. इसके ऊपर दोनों भौहों के मध्य छठा चक्र जिसे आज्ञा चक्र कहते हैं, स्थित होता है. सिर के ऊपर सातवां और आखिरी चक्र स्थित होता है, यह सहस चक्र के नाम से जाना जाता है.  ‘ड्रम’ वाद्य यंत्र प्रथम चक्र अर्थात मूलाधार चक्र पर प्रभाव डालता है. बड़े और छोटे ड्रम का प्रभाव मूलाधार से स्वादिष्ठान (द्वितीय) चक्र के मध्य होता है.

बड़े और हवा से बजने वाले वाद्य यंत्र जैसे कि दुदुम्भी/तुरही हमारे दूसरे से लेकर तीसरे अर्थात स्वाधिष्ठान से मणिपुर चक्र पर प्रभाव डालते हैं. धातु की ध्वनि देने वाले वाद्य यंत्र मणिपुर से लेकर अनाहत (चौथे) चक्र पर प्रभाव डालते हैं. जब हम धातु की ध्वनि सुनते हैं तो इससे हमारे पेट में संवेदना होती है. इस बात का अनुभव कितने लोगों ने किया है?

तार वाले वाद्य यंत्र नाभि से ह्रदय के बीच प्रभाव डालते हैं. वीणा एवं सितार जैसे तार वाले वाद्य यंत्र अनाहत (ह्रदय) चक्र को प्रभावित करते हैं. बांसुरी का संगीत या हवा से चलने वाले अन्य वाद्य यंत्रों की ध्वनि एवं कभी-कभी पियानो की आवाज अनाहत से विशुद्धि (गले में स्थित) चक्र को प्रभावित करती है. घंटी, पानी की कल-कल, चिड़ियों की चहचहाहट एवं अन्य ऐसी ही मधुर एवं सूक्ष्म ध्वनियों का प्रभाव गले से ले कर आज्ञा चक्र (दोनों भौंहों) पर पड़ता है. इसके बाद अंत में सहस्रर (सिर के ऊपर) चक्र पर ध्यान एवं एक साथ बजने वाले अन्य सभी वाद्य यंत्रों का प्रभाव पड़ता है.

यदि किसी भी भारतीय रीति-रिवाज को देखा जाए तो पता चलता है कि हमारे पूर्वजों को इस बारे में पहले से ही जानकारी थी. मंदिरों में ड्रम को बाहर की तरफ में रखा जाता है, इसके बाद हवा से बजने वाले बड़े वाद्य यंत्र और फिर गर्भ-गृह में घंटियां एवं शंख आदि रखे जाते हैं. ध्वनि का उद्देश्य मौन है. क्या हम सब ये जानते हैं ध्वनि का उम नि:शब्द से है और इसका लक्ष्य भी मौन ही है. मौन का सीधा सा अर्थ है संपूर्ण मेल या एकात्म. जब हमारे भीतर पूर्ण एकात्म रहेगा, तब ध्वनि भी एक वस्तु की भांति लगेगी.



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