अंत:करण

Last Updated 28 Oct 2016 02:31:36 AM IST

विक्षेपरहित चित्त में शुद्ध अंत:करण फलित होता है? या शुद्ध अंत:करण विक्षेपरहित चित्त बन जाता है? कृष्ण जो कह रहे हैं, वह हमारी साधारण साधना की समझ के बिलकुल विपरीत है.


आचार्य रजनीश ओशो

साधारणत: हम सोचते हैं कि विक्षेप अलग हों, तो अंत:करण शुद्ध होगा. कृष्ण कह रहे हैं, अंत:करण शुद्ध हो, तो विक्षेप अलग हो जाते हैं. यह बात ठीक से न समझी जाए, तो बड़ी भ्रांतियां जन्मों-जन्मों के व्यर्थ के चक्कर में ले जा सकती हैं. ठीक से काज और इफेक्ट, क्या कारण बनता है और क्या परिणाम, इसे समझ लेना ही विज्ञान है. बाहर के जगत में भी, भीतर के जगत में भी.

जो कार्य-कारण की व्यवस्था को ठीक से नहीं समझ पाता और कार्यों को कारण समझ लेता है और कारणों को कार्य बना लेता है, वह अपने हाथ से ही, अपने हाथ से ही अपने को गलत करता है. वह अपने हाथ से ही अपने को अनबन करता है. किसान गेहूं बोता है, तो फसल आती है. गेहूं के साथ भूसा भी आता है. लेकिन भूसे को अगर बो दिया जाए, तो भूसे के साथ गेहूं नहीं आता. ऐसे किसान सोच सकता है कि जब गेहूं के साथ भूसा आता है, तो उलटा क्यों नहीं हो सकता है!

भूसे को बो दें, तो गेहूं साथ आ जाए वाइस-वरसा क्यों नहीं हो सकता? लेकिन भूसा बोने से सिर्फभूसा सड़ जाएगा, गेहूं तो आएगा ही नहीं, हाथ का भूसा भी जाएगा. भूसा आता है गेहूं के साथ, गेहूं भूसे के साथ नहीं आता है. अंत:करण शुद्ध हो, तो चित्त के विक्षेप सब खो जाते हैं, विक्षिप्तता खो जाती है. लेकिन चित्त की विक्षिप्तता को कोई खोने में लग जाए, तो अंत:करण तो शुद्ध होता नहीं, चित्त की विक्षिप्तता और बढ़ जाती है. जो आदमी अशांत है, अगर वह शांत होने की चेष्टा में और लग जाए, तो अशांति सिर्फदुगुनी हो जाती है.

अशांति तो होती ही है, अब शांत न होने की अशांति भी पीड़ा देती है. लेकिन अंत:करण कैसे शुद्ध हो जाए? पूछा जा सकता है कि अंत:करण शुद्ध कैसे हो जाएगा? जब तक विचार आ रहे, विक्षेप आ रहे, विक्षिप्तता आ रही, विकृतियां आ रहीं, तब तक अंत:करण शुद्ध कैसे हो जाएगा? कृष्ण अंत:करण शुद्ध होने को पहले रखते हैं, पर वह होगा कैसे? यहां सांख्य का जो गहरा से गहरा सूत्र है, वह आपको स्मरण दिलाना जरूरी है.

सांख्य का गहरा से गहरा सूत्र यह है कि अंत:करण शुद्ध है ही. कैसे हो जाएगा, यह पूछता ही वह है, जिसे अंत:करण का पता नहीं है. जो पूछता है, कैसे हो जाएगा शुद्ध? उसने एक बात तो मान ली कि अंत:करण अशुद्ध है.



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