शारदीय नवरात्र 2016: ये है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, ऐसे करें पूजा
शारदीय नवरात्र एक अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं. नवरात्र में पूरे नौ दिन तक मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करने पर व्रती और भक्तों को मनवांछित फल की प्राप्ति होगी.
(फाइल फोटो) |
नवरात्र की प्रतिपदा (शनिवार) को कलश स्थापना प्रात: काल कन्या लग्न में 4:36 बजे से लेकर सुबह 7:03 बजे तक और सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:37 बजे तक की जायेगी. ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इस बार सूर्योदय से लेकर सम्पूर्ण दिन तक कलश स्थापना का अद्भुत संयोग बन रहा है.
भारतीय ज्योतिष के अनुसार कलश स्थापना चित्रा नक्षत्र और वैधृत योग में नहीं की जाती है. संयोग की बात है कि ये दोनों ही योग इस वर्ष सम्पूर्ण दिन नहीं बन रहे हैं. इसलिए कलश स्थापना सम्पूर्ण दिन की जा सकेगी लेकिन उपर्युक्त समय पर कलश स्थापित करना अधिक फलदायी रहेगा.
पूजा विधि
घर के उत्तर पूर्व में कलश स्थापना के लिए जगह चुनें. प्रात:काल स्नानादि के बाद मिट्टी की बेदी बनाकर जौ बोयें. उस पर मां जगतजननी की घट स्थापना करें.
महिला ज्योतिषाचार्य केता देवी बताती हैं कि प्रथम दिवस से लेकर नवमी/दशमी तक प्रतिदिन पूजन करें व दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. श्रद्धानुसार मां की अखण्ड ज्योति प्रज्ज्वलित करें. अष्टमी के दिन बेदी की कढ़ाही करें और हलवा पूरी से कन्या व लंगूर को भोजन करायें.
मां की पूजा के लिए गंगा जल, रोली, मौली, पान, सुपाड़ी, धूपबत्ती व घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें.
फल-फूल की माला, बिल्व पत्र, चावल, केले के पत्ते का खम्भा, बंदनवार के लिए आम के पत्ते, चंदन, नारियल, हल्दी की गांठ, पंचरत्न, लाल वस्त्र, चावल से भरा पात्र, जौ, बताशा, सुगंधित तेल, श्रंगार सामग्री, सिंदूर, कपूर, नैवैद्य के लिए फल, पंचामृत, दूध, दही,चीनी, शहद, गौ-दुग्ध और दुर्गा जी की मूर्ति, कुंवारी पूजन के लिए वस्त्र-आभूषण आदि पूजन में रखना चाहिए.
क्या करें क्या न करें:
- गीले कपड़ों में कलश स्थापित न करें और न ही माता जी की पूजा में गीले वस्त्र धारण करें. खुले केश न रखें.
- नारियल, नींबू, अनार आदि फल का भोग लगायें. दुर्गा को कटे फल न चढ़ायें.
- व्रती और ब्राह्मण को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
- कलश स्थापना में नौ प्रकार के बीज बोना शुभ माना गया है.
- अखण्ड दीपक नौ दिन प्रज्ज्वलित होने चाहिए और कलश में मौली अवश्य बांधें.
- अखण्ड ज्योति प्रज्ज्वलित करते समय पुष्प, दक्षिणा, अक्षत अखण्ड ज्योति के नीचे अवश्य रखें.
- प्रज्ज्वलित अखण्ड ज्योति में लौंग का जोड़ा अवश्य डालें.
- अखण्ड ज्योति जलाते समय ध्यान रखना चाहिए की माचिस की तीली आगे न रखें पीछे रखें. क्योंकि आगे रखी सभी चीजें मां को अर्पित हो जाती हैं.
- प्रयास करें कि अखण्ड ज्योति बुझने न पाये.
- बोये हुए जौ के जवारा कुछ अपने धनकक्ष में अवश्य रखें और नारियल को सीधा करके रखें.
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