मातृत्व

Last Updated 27 Aug 2016 01:35:14 AM IST

अभी आप जिस शरीर को ढो रहे हैं, यह वही शरीर नहीं है, जो आपकी मां की गर्भ से बाहर आया था. वह तो पूरी तरह बदल चुका है.


जग्गी वासुदेव

आज आपने अपने शरीर में जितना भी किलोग्राम बढ़ा लिया है, वह सब धरती मां का दिया हुआ है. मैं आपको जन्म देने वाली मां को छोटा दिखाने की कोशिश नहीं कर रहा हूं, बात सिर्फ  इतनी है कि अगर आप एक आध्यात्मिक जिज्ञासु हैं तो सभी चीजों को सही नजरिये से देखना बहुत ही महत्त्वपूर्ण है.

अगर आप अपने मन में या अपनी भावनाओं में चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर देखते हैं, तो आप खुद को गलत दिशा में ले कर चले जाएंगे और काफी समय और जीवन बर्बाद कर लेंगे. अगर आप किसी से प्रेम करते हैं, या किसी से नफरत करते हैं, तो आप चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर देखेंगे.

अगर आप किसी को पसंद करते हैं या नापसंद करते हैं, तो भी आप चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर देखते हैं. बढ़ा-चढ़ाकर देखने का मतलब है कि जाने-अनजाने आप सच्चाई से भाग रहे हैं. सच्चाई से भागने का मतलब है कि आप अपने खिलाफ काम कर रहे हैं. जो अपने खिलाफ हो जाता है, उसे किसी दुश्मन की जरूरत नहीं होती. इसे अपनी मदद करना कहते हैं!

आपके जीवन की खूबसूरती यही है. आप पूरी तरह आत्मनिर्भर हैं. इसलिए हम जन्म देने वाली माता और धरती मां, दोनों के आभारी हैं और दोनों की कद्र करते हैं. हम इस मां और उस मां दोनों के कारण यहां पर हैं. आपको अपने जीवन के हर दिन उन सभी चीजों और उन सभी लोगों की कद्र करनी चाहिए, जो आपके जीवन को वैसा बनाने में योगदान कर रहे हैं, जैसा वह आज है.

अगर आप करीब से देखें तो सृष्टि में एक भी चीज ऐसी नहीं है, जिसके बिना आपका अस्तित्व हो सकता है. इसलिए मैं चाहता हूं कि आप हर चीज को एक मां के रूप में देखें. आपकी खुशहाली के लिए जो कुछ भी जरूरी है, उसका सृष्टा द्वारा पूरा ध्यान रखा जाता है. हर पल हर कदम पर यह धरती आपका साथ देती है. मां-बाप की तरह ये लाखों शक्तियां आपके जीवन में हर पल आपकी मदद कर रही हैं.

इसलिए प्रकृति और आपके आस-पास के लोग आपको जो कुछ भी दे रहे हैं, इन सब के लिए क्या आपको आभार में शीश नहीं झुकाना चाहिए? इसलिए मैं चाहता हूं कि आप हर चीज को एक मां के रूप में देखें. आज वृक्ष-माता का दिन है, कल पर्वत-माता का दिन है, अगला दिन आपकी जैविक मां का दिन है.



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