शिव की कृपा प्राप्ति का सुनहरा अवसर है श्रावण सोमवार
श्रावण माह में सोमवार का दिन विशेष महत्व रखता है. सोमवार को शिव उपासना की कृपा प्राप्ति का द्वार माना गया है. जो देवों के भी देव हैं वही महादेव हैं अर्थात् भगवान शिव हैं.
फाइल फोटो |
पूर्णमासी को श्रवण नक्षत्र का योग होने के कारण यह मास श्रावण कहलाता है. इस मास की संपूर्ण कला केवल ब्रह्मा जी ही जानते हैं. इस मास के पूरे तीस दिन जप, तप, व्रत व पुण्य कार्यों के लिए उत्तम माने गए हैं.
मान्यता है कि शिव आराधना से इस मास में विशेष फल प्राप्त होता है. इस महीने में हमारे 8 ज्योतिर्लिंगों की विशेष पूजा, अर्चना और अनुष्ठान की बड़ी प्राचीन एवं पौराणिक परम्परा रही है. रुद्राभिषेक के साथ साथ महामृत्युंजय का पाठ तथा काल सर्प दोष निवारण की विशेष पूजा का महत्वपूर्ण समय रहता है. इस पूरे मास जो भी निष्काम भाव से भगवान शिव की भक्ति करता है उसे शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं.
मासों में श्रावण मास भगवान शंकर को विशेष प्रिय है और इस मास में भी सोमवार उन्हें अधिक प्रिय है. वैसे श्रावण मास में प्रतिदिन शिवोपासना का विधान है.
क्यों है सावन इतना महत्वपूर्ण
सावन के सोमवार में रखे गये व्रतो की महिमा अपरम्पार है. कथा के अनुसार जब सती ने अपने पिता दक्ष के निवास पर शरीर त्याग दिया था उससे पूर्व महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था. पार्वती ने सावन के महीने में ही निराहार रहकर कठोर तप किया था और भगवान शंकर को पा लिया था. इसलिए यह मास विशेष हो गया और सारा वातावरण शिवमय हो गया.
इस वर्ष 2016 में 20 जुलाई 2016 को श्रावण मास की शुरुआत हुयी थी.
इसके बाद से 25 जुलाई को पहला सोमवार,
01 अगस्त को दूसरा सोमवार ,
8 अगस्त को तीसरा सोमवार और
15 अगस्त को चौथा सोमवार पड़ेगा |
सावन का अंतिम दिन 18 अगस्त को राखी के त्योहार पर होगा. ये सब उत्तरी भारत के पंचागों के अनुसार मान्य है जबकि दक्षिणी भारत में 3 अगस्त से सावन सोमवार शरू होकर 01 सितम्बर को खत्म होगा.
Tweet |