इष्टदेव
इष्ट देवता का मतलब है आपकी पसंद का देवता. इसका मतलब है कि आपने देवता को बनाया.
जग्गी वासुदेव (फाइल फोटो) |
हो सकता है कि आपने भावनात्मक रूप से कोई देवता बना लिया दरअसल आपने ऊर्जा का एक स्वरूप तैयार कर लिया, जिसके साथ आप एक खास तरीके से जुड़े रहते हैं. लेकिन यह कोई ऐसे देवता नहीं होते जो स्वर्ग से उतरकर आए हों. आप एक माइक्रोफोन के जरिए अपनी बात दूर तक पहुंचा सकते हैं.
माइक्रोफोन आपके लिए तभी कारगर हैं, जब आप बोल सकते हैं. लेकिन ये सभी स्वरूप ऊर्जा-पिंड नहीं हैं. इनमें से कई तो केवल भावनाओं की उपज हैं, क्योंकि जो कोई इंसान भक्ति में होता है, वह इस बात की परवाह नहीं करता कि ऐसी किसी चीज का अस्तित्व है या नहीं. उसे बस अपनी भावनाओं की शक्ति के बारे में पता होता है.
जिस तरह से आप अपनी बुद्धि की शक्ति का इस्तेमाल करते हैं, उसी तरह आप अपनी भावनाओं की शक्ति का इस्तेमाल करके भी शानदार काम कर सकते हैं. जब आप एक भक्त बन जाते हैं, तब इससे फर्क नहीं पड़ता कि आपकी भक्ति किसके लिए है; किसी देवता, बंदर या भैंसे के लिए. बस आप समर्पित होते हैं. चूंकि आपमें भक्ति है, आप समर्पित हैं, इसलिए आपका रूपांतरण होगा.
यह रूपांतरण देवता द्वारा नहीं, आपकी भक्ति द्वारा होगा. अगर आप किसी से प्रेम करने लगें, भले ही वह शख्स बेवकूफ ही क्यों न हो, तो प्रेम करने के कारण आप भी खूबसूरत हो जाते हैं. किसी देवता के प्रेम में पड़ने का फायदा यह है कि वह आपको निराश नहीं करेंगे. इंसानों से आपको निराशा मिल सकती है. इसलिए नहीं कि उनमें कोई कमी है, बल्कि इसलिए क्योंकि आपकी उनसे अपेक्षाएं अवास्तविक होती हैं. एक काम करके देखिए. कोई ऐसा शख्स ढूंढिए जिसे आपने प्रेम किया और अब आपको उससे समस्या होने लगी है. अब उन उम्मीदों की सूची बनाइए जो आपने उस शख्स से लगा ली थीं.
अब खुद से पूछिए कि अगर आप उनकी जगह होते तो क्या आप उन उम्मीदों को पूरा कर पाते? आप पाएंगे कि उन उम्मीदों को पूरा कर पाना असम्भव है. लेकिन आप चाहते हैं कि वे इन उम्मीदों को पूरा करें, क्योंकि आपको लगता है कि वह तो सुपरमैन हैं. सोचने में यह अच्छा लग सकता है, लेकिन सच्चाई तो यही है कि वह भी आपकी तरह एक आम इंसान है. आम व्यक्ति है.
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