प्रेम शक्ति

Last Updated 01 Jul 2016 05:09:14 AM IST

मेरे लिए प्रेम से बड़ी कोई और शक्ति नहीं है. प्रेम परमात्मा है. बांटो! जब तुम्हारी झोली भर जाए तो बांटना सीखो, क्योंकि जितना तुम बांटोगे, उतनी झोली भरती जाएगी. यह जीवन का अंतस का गणित बड़ा अनूठा है.


आध्यात्मिक गुरु ओशो (फाइल फोटो)

बाहर की दुनिया में, बाहर के अर्थशास्त्र में तुम अगर बांटोगे तो आज नहीं कल दीन-दरिद्र हो जाओगे. मुल्ला नसरुद्दीन ने एक भिखारी को किसी धुन-मग आकर पांच रुपये का नोट दे दिया. मस्ती में था. लाटरी हाथ लग गयी थी. आज दिल देने का था. भीखमंगे को भी भरोसा नहीं आया. उसने भी उलट-पुलट कर नोट देखा कि असली है कि नकली! फिर मुल्ला नसरुद्दीन की तरफ देखा. नसरुद्दीन ने भी उसे गौर से देखा.

आदमी भला मालूम पड़ता है, चेहरे से सुशिक्षित भी मालूम पड़ता है, संस्कारी मालूम पड़ता है, कुलीन मालूम पड़ता है; कपड़े भी यद्यपि फटे हैं, पुराने हैं, मगर कभी कीमती रहे होंगे. पूछा : यह तेरी हालत कैसे हुई? वह भिखमंगा हंसने लगा. उसने कहा : यही हालत आपकी हो जाएगी. ऐसे ही मैं बांटता था. बाप तो बहुत छोड़ गए थे, मगर मैंने लुटा दिया.

आप भी अब ज्यादा दिन फिकिर न करो. और जब यह हालत हो जाए तो मेरे झोपड़े में आ जाना; वहां जगह काफी है : ऐसे ही बांटते रहे तो ज्यादा देर नहीं है, यह हालत आ जाएगी आपकी भी. बाहर की दुनिया में अगर बांटोगे तो घटता है. भीतर की दुनिया में नियम उल्टा है : रोकोगे तो घटना है. बांटोगे तो बढ़ता है. अध्यात्म का अर्थशास्त्र और है, गणित और है.

तुम्हारे भीतर प्रेम उठे तो द्वार-दरवाजे बंद करके उसे भीतर छिपा मत लेना, अन्यथा सड़ जाएगा; अन्यथा जहरीला हो जाएगा. झरने बहते रहें तो स्वच्छ रहते हैं, ताजे रहते हैं. प्रेम उठे, बांटना! और बांटते समय शत्रे मत लगाना, क्योंकि शर्तों बांटने में बाधा बनती है. आनंद उठे लुटाना! दोनों हाथ उलीचिए! फिर यह भी फिकिर मत देखना कि कौन पात्र है कौन अपात्र है? यह तो कंजूस देखते हैं पात्र और अपात्र.

मेरे पास लोग आ जाते हैं और पूछते हैं : न आप पात्र देखते न अपात्र, आप किसी को भी संन्यास दे देते हैं! मैं कहता हूं: मैं लुटा रहा हूं! पात्र-अपात्र..मैं कोई कंजूस हूं? इसको देंगे उसको देंगे, इसको नहीं देंगे, यह आदमी ऐसा सुबह पांच बजे उठता है कि नहीं तो देंगे, ब्रह्ममुहूर्त में उठता है तो देंगे..क्या बकवास लगा रखी है? सात बजे उठेगा तो संन्यासी नहीं हो सकता? दिन भर भी सोया रहे तो भी संन्यासी हो सकता है.

 

ओशो
आध्यात्मिक गुरु


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