मार्ग

Last Updated 06 May 2016 05:10:00 AM IST

मार्गदर्शक तुमसे बाहर नहीं है, मार्गदर्शक तुम्हारे भीतर है. मार्गदर्शक को ढूंढ़ने के लिए तुम्हें अपने भीतर गहरे में जाना होगा.


आचार्य रजनीश ओशो

एक बार तुम आंतरिक मार्गदर्शक पा लेते हो तब कोई गलती नहीं होती, कोई पछतावा नहीं होता, कोई अपराध बोध पैदा नहीं होता. ठीक या गलत करने का कोई सवाल ही नहीं है; जो कुछ भी तुम करते हो वह ठीक होता है. यह बात नैतिकता की भी नहीं है, एक बार चेतना शुभ हो जाती है तो उससे जो कुछ भी आता है वह शुभ होता है. तुम प्रकाश में चलते हो और तुम प्रकाशित होकर चलते हो क्योंकि मन और मन का बोझ वहां नहीं बचता. और जब कोई प्रकाश में चलता है और प्रकाशित चलता है, जीवन हास्य, प्रेम, आनंद बन जाता है.

एक बार मार्गदर्शक पा लिया जाता है, तुम अपने भीतर गुरु  को पा लेते हो. मेरा मार्ग हृदय का मार्ग बताया जाता रहा है, लेकिन यह सत्य नहीं है. हृदय तुम्हें सभी तरह की कल्पनाएं, भ्रम, छल, मधुर सपने देगा-लेकिन यह तुम्हें सत्य नहीं दे सकता. सत्य दोनों के पार है; यह तुम्हारी चेतना में है, जो कि न तो मन है न ही हृदय. बस चूंकि चेतना दोनों से अलग है, यह दोनों का लयबद्ध उपयोग कर सकती है. कुछ क्षेत्रों में मन खतरनाक है, क्योंकि इसके आंखें हैं पर पैर नहीं-यह अपाहिज है.

हृदय कुछ आयामों में कार्य कर सकता है. इसके पास आंखें नहीं हैं पर पैर हैं ; यह अंधा है लेकिन यह त्वरा से चल सकता है, बहुत तीव्रता के साथ-निश्चित ही, यह जाने बिना कि कहां जा रहा है. यह संयोग मात्र ही नहीं है कि दुनिया की सभी भाषाओं में प्रेम को अंधा कहा जाता है.

यह प्रेम नहीं है जो अंधा है, यह हृदय है जिसके पास आंखें नहीं हैं. जैसे-जैसे तुम्हारा ध्यान गहरा होता है, जैसे-जैसे तुम्हारा हृदय और मन से तादात्म्य टूटने लगता है, तुम पाते हो कि तुम त्रिकोण बनने लगते हो. और तुम्हारी वास्तविकता तीसरी शक्ति में है : चेतना में. चेतना आसानी से सम्हाल सकती है क्योंकि हृदय और मन दोनों इसके हिस्से हैं. मनुष्य ने हमेशा चीजों से मुक्त होने का प्रयास किया है.

यह सृजनात्मक नहीं है. यह स्वतंत्रता का नकारात्मक पहलू है. तुम्हारे पास एक निश्चित दशर्न है और तुम उसे कार्यान्वित करना चाहते हो. किसी से स्वतंत्रता पाने का अर्थ है अतीत से मुक्ति और स्वतंत्रता हमेशा भविष्य के लिए होती है. स्वतंत्रता आध्यात्मिक आयाम है क्योंकि तुम अज्ञात में जा रहे हो और शायद, एक दिन, अज्ञेय की तरफ. यह तुम्हें पंख देगा.



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