चरण और ज्ञान

Last Updated 30 May 2015 05:05:18 AM IST

चरण और ज्ञान एक हैं जहां, उसे हम आचार्य कहते हैं. वह सिद्ध भी हो सकता है, वह अरिहंत भी हो सकता है.




धर्माचार्य आचार्य रजनीश ओशो

लेकिन हमारी पकड़ में वह आचरण से आता है. पर जरूरी नहीं है, क्योंकि आचरण बड़ी सूक्ष्म बात है और हम बड़ी स्थूल बुद्धि के लोग हैं.

तय करना कठिन है कि जो आचरण है.. अब जैसे महावीर को खदेड़ कर भगाया गया, गांव-गांव महावीर पर पत्थर फेंके गए. हम ही लोग थे, हम ही सब यह करते रहे. ऐसा मत सोचना कोई और. महावीर की नग्नता लोगों को भारी पड़ी, क्योंकि लोगों ने कहा यह तो आचरणहीनता है. यह कैसा आचरण? आचरण बड़ा सूक्ष्म है. अब महावीर का नग्न हो जाना इतना निदरेष आचरण है, जिसका हिसाब लगाना कठिन है. हिम्मत अद्भुत है. महावीर इतने सरल हो गए कि छिपाने को कुछ न बचा.

अब महावीर को इस चमड़ी और हड्डी की देह का बोध मिट गया और प्राण-शरीर का बोध इतना सघन हो गया कि उस पर तो कोई कपड़े डाले नहीं जा सकते, कपड़े गिर गए. और ऐसा भी नहीं कि महावीर ने कपड़े छोड़े, कपड़े गिर गए. एक दिन गुजरते हुए एक राह से चादर उलझ गई है एक झाड़ी में तो झाड़ी के फूल न गिर जाएं, पत्ते न टूट जाएं, कांटों को चोट न लग जाए, तो आधी चादर फाड़कर वही छोड़ दी. फिर आधी रह गई शरीर पर. फिर वह भी गिर गई. वह कब गिर गई, उसका महावीर को पता न चला. लोगों को पता चला कि महावीर नग्न खड़े हैं. आचरण सहना मुश्किल हो गया.

आचरण के रास्ते सूक्ष्म हैं, बहुत कठिन हैं. और हम सब के आचरण के संबंध में बंधे-बंधाये खयाल हैं. ऐसा करो- और जो ऐसा करने को राजी हो जाते हैं, वे करीब-करीब मुर्दा लोग हैं. जो आपकी मानकर आचरण कर लेते हैं, उन मुदरे को आप काफी पूजा देते हैं. ज्ञान परम स्वतंत्रता है. जो व्यक्ति आचार्य को नमस्कार कर रहा है, वह यह भाव कर रहा है कि मैं नहीं जानता क्या है ज्ञान, क्या है आचरण, लेकिन जिनका भी आचरण उनके ज्ञान से उपजता और बहता है, उनको मैं नमस्कार करता हूं.

अभी भी बात सूक्ष्म है; इसलिए उपाध्यायों को नमस्कार. उपाध्याय का अर्थ है- आचरण ही नहीं, उपदेश भी. उपाध्याय का अर्थ है- ज्ञान ही नहीं, आचरण ही नहीं, उपदेश भी. वे जो जानते हैं, जानकर वैसा जीते हैं; और जैसा वे जीते हैं और जानते हैं, वैसा बताते भी हैं. उपाध्याय का अर्थ है- वह जो बताता भी है. आचार्य मौन हो सकता है. वह मान सकता है कि आचरण काफी है. और अगर तुम्हें आचरण दिखाई नहीं पड़ता तो तुम जानो. उपाध्याय आप पर और भी दया करता है. वह बोलता भी है, वह आपको कहकर भी बताता है.
साभार: ओशो वर्ल्ड फाउंडेशन, नई दिल्ली



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