संपन्नता का आधार

Last Updated 07 May 2015 02:09:33 AM IST

बादल बरसते सभी जगह समान रूप से हैं; पर उनका पानी उतनी ही मात्रा में वहां जमा होता है, जहां जितनी गहराई या पात्रता होती है.


धर्माचार्य पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

धुलाई के बिना रंगाई नहीं निखरती. गलाई के बिना ढलाई नहीं होती. मल-मूत्र से सने बच्चे को भी माता तब ही गोदी में उठाती है, जब उसे नहला-धुलाकर साफ-सुथरा बना देती है.

मैला गंदला पानी पीने के काम नहीं आता. मैले दर्पण में छवि कहां दिखती है? जलते अंगारे पर यदि राख की परत जम जाए तो न उसकी गर्मी का आभास होता है, न चमक का. बादलों से ढक जाने पर सूर्य, चंद्र तक अपना प्रकाश धरती तक नहीं पहुंचा पाते. कुहासा छा जाने पर दिन में भी लगभग रात जैसा अंधेरा छा जाता है और कुछ दूरी की वस्तुएं तक सूझ नहीं पड़तीं.

इन्हीं सब उदाहरणों को देखते हुए अनुमान लगाया जा सकता है कि मनुष्य यदि लोभ की हथकड़ियों, मोह की बेड़ियों और अहंकार की जंजीरों में जकड़ा हुआ रहे, तो उसकी समस्त क्षमताएं नाकारा बनकर रह जाएंगी. बंधुआ मजदूर रस्सी में बंधे पशुओं की तरह बाधित और विवश बने रहते हैं. वे अपना मौलिक पराक्रम गंवा बैठते हैं और उसी प्रकार चलने-करने के लिए विवश होते हैं जैसा कि बांधने वाला उन्हें चलने के लिए दबाता-धमकाता है. कठपुतलियां अपनी मर्जी से न उठ सकती हैं, न चल सकती हैं, मात्र मदारी ही उन्हें नचाता-कुदाता है.

कुसंस्कारों और कुप्रचलनों का दोहरा दबाव ही मनुष्य के मौलिक चिंतन का सही मार्ग अपनाने में भारी अवरोध बनकर खड़ा हो जाता है और उत्कृष्टता की दिशा में सहज संभव हो सकने वाली प्रगति बुरी तरह अवरुद्ध होकर रह जाती है. अंतरात्मा ऊंचा उठने के लिए कहती है और सिर पर छाया हुआ दुष्प्रवृत्तियों का आकाश जितना विस्तृत नरक नीचे गिरने के लिए बाधित करता है. फलत: मनुष्य त्रिशंकु की तरह अधर में ही लटका रह जाता है. यह असमंजस बना ही रहता है कि क्या होगा? भविष्य न जाने कैसा बनकर रहेगा?

इस विषम विडंबना से छूटने का एक ही उपाय है कि दोष-दुर्गुणों की जो भारी चट्टानें सिर पर लदी हैं, उन्हें किसी भी कीमत पर हटाया-गिराया जाए. अन्यथा इतनी बोझिल विपन्नता को सिर पर लादे हुए कुछ दूर तक भी आगे चल सकना संभव न होगा. वासनाएं आदमी को नीबू की तरह निचोड़ लेती हैं. जीवन में से स्वास्थ्य, संतुलन जैसा सब कुछ निचोड़ कर उसे छिलके जैसा निस्तेज बना देती हैं.

-गायत्री तीर्थ शान्तिकुंज, हरिद्वार



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment