महत्वहीन का भी है महत्व

Last Updated 22 Apr 2015 01:01:37 AM IST

बहुत से लोग क्या महत्वपूर्ण है, हर समय इसी बारे में सोचते रहते हैं. पर किसी चीज के महत्वपूर्ण होने के लिए महत्वहीन चीजों की आवश्यकता होती है.


धर्माचार्य श्री श्री रविशंकर

इसलिए तुम महत्वहीन चीजों को हटा नहीं सकते. किसी और चीज को महत्वपूर्ण बनाने के लिए महत्वहीन चीजों का होना महत्वपूर्ण है.

इसका अर्थ है कि हर चीज महत्वपूर्ण होती है और हर वस्तु महत्वहीन होती है. जब तुम इस तथ्य को जान लेते हो तो चुनावहीन हो जाते हो. जब कुछ अटल होता है तो तुम उसे महत्वपूर्ण और महत्वहीन में वर्गीकृत मत करो. हर चीज महत्वपूर्ण है. यह कर्मयोग है. कुछ भी महत्वहीन नहीं है, यह गहन ध्यान है.

लौ को ऊपर उठने के लिए उसके ऊपर जगह की जरूरत होती है. इसी प्रकार मनुष्य को ऊपर उठने के लिए एक आदर्श की जरूरत होती है. पूजा की बात करें तो उसमें अपनत्व की भावना, प्रेम, आदर और सम्मान सब एक साथ होते हैं. बगैर अपनत्व की भावना से की गई पूजा या आराधना आत्मसम्मान को कम कर सकती है.

हमारे पूर्वज यह जानते थे. पहले के लोग इसे समझते थे. इसीलिए वे लोगों से अनुरोध करते थे कि जिसकी वे पूजा करें, स्वयं को उसका एक अंश महसूस करें. वे लोगों को सूर्य, चंद्र, पर्वत, नदी, वृक्ष, पशु और मनुष्य की पूजा करने के लिए प्रोत्साहित करते थे.

पूजा प्रेम और प्रशंसा की पराकाष्ठा है. पूजा प्रेम को घृणा और द्वेष में परिवर्तित होने से रोकती है और प्रशंसा को निम्न आत्मसम्मान में परिवर्तित होने से भी रोकती है. जीवन में यदि तुम किसी चीज की आराधना या प्रसंशा नहीं करते तब तुम नकारात्मकताओं से भर जाओगे. जो व्यक्ति किसी की पूजा या आराधना नहीं करता, वह अवसादग्रस्त हो जाएगा.

आराधना की कमी से समाज के बहुत से लोग भावनात्मक, मानसिक और सामाजिक समस्याओं से ग्रसित हैं. यदि जीवन में श्रेयस्कर समझने के लिए कुछ भी न हो तो निश्चय ही स्वार्थ भावना, अहंकार व हिंसा अग्रसर होने लगती है. समाज में एक-दूसरे की आराधना व सम्मान करने से तनाव कम होता है. दया व प्रेम में वृद्धि होती है.

संपादित अंश ‘सच्चे साधक के लिए एक अंतरंग वार्ता’ से साभार



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