सफल जीवन की युक्ति

Last Updated 23 Jul 2014 04:26:31 AM IST

जब आप अपनी सीमा निर्धारित करतें है तो अपनी चेतना को सीमित करते हैं, अपनी शक्ति को सीमित करतें हैं.


धर्माचार्य श्री श्री रविशंकर

जब आप सफल होतें हैं तो गर्वित अनुभव करतें हैं और असफल होते हैं तो ग्लानि या तनाव में आ जाते हैं.

इन दोनों के कारण आप आनंद से वंचित रह जाते हैं, जो आप में संचित रूप से पड़ा है. असफलता प्रक्रिया का ही हिस्सा है. कर्म के फल पर किसी का अधिकार नहीं है. यदि आपका ध्यान अंतिम फल पर ही हो तो आप कर्म नहीं कर पायेंगे.

एक धावक यदि यही देखे कि उसके पीछे कौन दौड़ रहा है और अपने रास्ते को न देखे तो वह सफल नहीं होगा. आपको अपने ही ट्रेक पर दौड़ना होगा चाहे हारो या जीतो. इसी तरह, असफलता से डरें नही. यदि आप असफल हो जाते हैं तो कोई बात नहीं. फिर प्रयास करें. जब भी कठिन समय आये, अपने पुरुषार्थ को जगाएं और चुनौतियों का सामना विश्वास से करें.

आप अपनी शक्ति भूल गये, संकल्प और प्रार्थना शक्ति. परेशान न हों और अपने मन को केंद्रित रखे. जब भी हम तनाव ग्रस्त होते हैं और भयभीत होते हैं, हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.

प्राणायाम, योग, ध्यान और सुदर्शन क्रिया आपकी सहायता करेगी.
सबसे महत्वपूर्ण है, यह अनुभव करें कि आप अपने कठिन समय में अकेले नही है. आपके लिए एक अनदेखा हाथ कार्य कर रहा है. यदि आपने कुछ अच्छा नहीं किया तो कोई बात नहीं. इस क्षण में इसे दुबारा करना चाहते हैं तो एक संकल्प लें और दुबारा जुट जाएं.

इस बार पहले से बेहतर कर पाएंगे. जीवन जीने के दो तरीके हैं. एक सोच है, ‘मैं अमुक कार्य करके खुश हो जाऊंगा.’ दूसरी सोच है, ‘मैं खुश ही हूं चाहे जो हो जाये.’ आप कौन सा जीवन जीना चाहतें है?

आज निर्णय ले लें कि मैं स्थिर रहूंगा और शांत रहूंगा और ईश्वर की सहायता मेरे लिए है. चाहे जो कुछ हो जाये, मैं निराश नही होऊंगा. ईश्वर मेरा हाथ हमेशा थामें रहेंगे.’ यह सोच ही काफी है आपको ऊपर उठाने के लिए. अपने मन को हर स्थिति में शांत रखें. सफलता और असफलता दोनों में ही समान रहना सच्ची सफलता है.



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