नरक चतुर्दशी के दिन इस तरह करें यमदेव व हनुमानजी को प्रसन्न

Last Updated 18 Oct 2017 10:59:54 AM IST

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी और रूप चतुर्दशी या रूप चौदस कहते हैं. इस बार यह पर्व बुधवार 18 अक्‍टूबर को मनाया जाएगा.


नरक चतुर्दशी 2017 (फाइल फोटो)

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को यमदेव की विधि-विधान से पूजा की जाती है ताकि वे प्रसन्न रहें. ऐसी मान्यता है कि इस दिन अच्छी तरह से स्नान और श्रृंगार से शरीर निरोग रहता है और सुख-समृद्धि आती है.

स्नान के पश्चात विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन करना अत्यंत पुण्यदायक कहा गया है. इससे पाप कटता है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है.

यह पांच पर्वों की श्रृंखला के मध्य में रहने वाला त्यौहार है. नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली भी कहते हैं. इसे छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है क्योंकि दीपावली से एक दिन पहले, रात के वक्त उसी प्रकार दीए की रोशनी से रात के तिमिर को प्रकाश पुंज से दूर भगा दिया जाता है जैसे दीपावली की रात को.

हनुमान जयंती पर्व आज

कई जगहों पर इस दिन को हनुमान जन्मोत्सव की तरह से भी मनाया जाता है. इस दिन हनुमान जी प्राकट्य हुआ था. इस दिन प्रात: काल स्नान आदि करके हनुमान जी का व्रत उपासना कर सिंदूर, चमेली का तेल, लाल पुष्प और प्रसाद चढ़ाकर सुन्दरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए.

दिन में हनुमान जी के मंदिर में गुड़ एवं चने का प्रसाद और दीपक जलायें. 18 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी (रूप निखारने का पर्व) के रूप में मनाया जाएगा.

रूप चतुर्दशी के दिन सूर्योदय के पूर्व उठकर तिल के तेल से मालिश करके स्नान करना चाहिए. उसके पश्चात भगवान श्रीकृष्ण के निमित्त दीपक जलाकर लम्बी आयु और आरोग्य और अपनी समृद्धि हेतु प्रार्थना करें और सायंकाल महालक्ष्मी और कुबेर के निर्मित दीपक प्रज्वलित कर उनके मंत्रों का जाम और आर्थिक समृद्धि की प्रार्थना करें.

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को उपरोक्त कारणों से नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी और छोटी दीपावली के नाम से जाना जाता है. और इसके बाद क्रमशः दीपावली, गोधन पूजा और भाई दूज मनायी जाती है.

दीपावली पर्व 19 अक्टूबर को : कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीपावली मनायी जाती है ऐसी मान्यता है कि भगवान राम 14 वर्ष के वनवास एवं लंका विजय के उपरान्त अयोध्या लौटे थे. इस अवसर पर लोगों ने घरों में दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था. तब से इसे दीपावली के रूप में मनाते हैं.

दीपावली पर्व महालक्ष्मी पूजा का विशेष पर्व है. कहते हैं कि अघ्र्य रात्रि में महालक्ष्मी विचरण करती है दीपक जलाने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उस घर में निवास करती हैं. 19 अक्टूबर दीपावली के दिन प्रात:काल स्नान करके भगवान विष्णु के निर्मित दीपक प्रज्वलित करें.

दीपावली के दिन दोपहर में पितरों के निर्मित यथाशक्ति दान दें और तर्पण करें और दीपावली के सायंकाल शुभ लग्न में गणोश, लक्ष्मी और कुबेर भगवान का पूजन करें.

महानिशिथ काल में महाकाली का पूजन करना चाहिए. महाकाली पूजा से मनोकामनाओं की पूर्ति शत्रु और मुकदमें में विजय प्राप्त होती है. दीपावली पर दक्षिणावर्ती शंख, श्रीयंत्र, गोमती चक्र, काली हल्दी , लघु नारियल आदि को भी स्थापित करने से सुख सौभाग्य धन वृद्धि होती है.

समयलाइव डेस्क


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