पंचक काल में हुई है जयललिता की मृत्यु

Last Updated 07 Dec 2016 01:04:06 PM IST

तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की मृत्यु पंचक काल लगने के उपरांत हुई है. ऐसे में कुछ ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि उनकी मृत्यु के बाद कुछ और मृत्यु की आशंका है.


पंचक काल में हुई है जयललिता की मृत्यु

माना जाता है कि पंचक में यदि किसी की मृत्यु होती है तो उसके पीछे 4 और लोगों की मृत्यु की आशंका रहती है.

जयललिता के निधन के दो दिन बाद बुधवार को जयललिता के करीबी और राजनीतिक सलाहकार चो रामास्वामी का चेन्नई में निधन हो गया. ऐसे में ये घटना इस आशंका को और बलवती करती है.

ज्योतिषाचार्य संजय मिश्रा के अनुसार 5 दिसंबर की शाम को 7 बजकर 43 मिनट से पंचक शुरू हुआ जो 9 दिसंबर की सुबह लगभग 4 बजकर 31 मिनट तक रहेगा.

उनके अनुसार जयललिता की मृत्यु 5 दिसंबर को रात 11.30 बजे हुई. इस दौरान पंचक काल चल रहा था. 

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि चंद्रमा पृथ्वी के चक्कर लगते समय 12 राशियों में से गुजरता है और इसके लिए उसको 27 नक्षत्रों को पार करना पड़ता है.

जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करता है तो पंचक प्रारंभ हो जाता है और फिर शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्राभाद्रपद और रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण करता है तो पंचक काल कहलाता है. यानि जब चंद्रमा कुम्भ और मीन राशी में भ्रमण करता है तो पंचक काल होता है.

ज्योतिषाचार्य संजय मिश्रा के अनुसार यदि पंचक काल में किसी की मृत्यु होती है तो शव के साथ आटे या कुश से बने पांच पुतले अर्थी पर रखना चाहिए और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करना चाहिए, तो पंचक दोष समाप्त हो जाता है. अन्यथा माना जाता है कि जितने पंचक बाकी बचे हैं उतने ही और मौत के समाचार मिलेंगे.

 

समयलाइव डेस्क


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