क्यों पांडवों ने बदल दिया इन पांच मंदिरों का मुख?
मालवा और निमाड़ अंचल में बहुत सारे मंदिर हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वे कौरवों द्वारा बनाये गये हैं लेकिन उनमें से सिर्फ पांच मंदिरों को ही प्रमुख माना गया है.
क्यों पांडवों ने बदल दिया इन पांच मंदिरों का मुख? |
ये मंदिर हैं: ओंकारेश्वर में ममलेश्वर, उज्जैन में महाकालेश्वर, नेमावर में सिद्धेश्वर, बिजवाड़ में बिजेश्वर और करनावद में कर्णेश्वर मंदिर. इन मंदिरों के बारे में कहा जाता है कि इन मंदिरों को एक ही रात में पूर्वमुखी से पश्चिममुखी कर दिया गया था.
इस संबंध में एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार अज्ञातवास के दौरान माता कुंती रेत से शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की पूजा किया करती थीं.
एक दिन पांडवों ने माता कुंती से पूछा कि वह रेत का शिवलिंग बनाकर पूजा क्यों करती हैं, किसी मंदिर में जाकर पूजा क्यों नहीं करतीं?
कुंती ने जवाब दिया कि यहां जितने भी मंदिर हैं, सारे के सारे कौरवों द्वारा बनवाए गए हैं, जहां हमें जाने की इजाजत नहीं. इसीलिए मजबूरी में मुझे रेत से शिवलिंग बनाकर पूजा करनी पड़ती है.
माता की बात सुनकर पांडवों ने कुछ देर सोचा. फिर एक रात उन्होंने योजनाबद्ध तरीके के पांच मंदिरों के मुख को बदल दिया.
उसके बाद उन्होंने माता से कहा कि अब वह पांच मंदिरों में पूजा-अर्चना कर सकती हैं क्योंकि दिशा बदलकर हमने ही इन मंदिरों का मुख बदल दिया है.
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