इबोला के टीके का परीक्षण

Photos: इबोला के टीके के परीक्षण में भारतीय मूल के शोधकर्ता ने की मदद

भविष्य में इबोला जैसे घातक वायरस के प्रकोप को रोकने के उद्देश्य से भारतीय मूल के एक शोधकर्ता ने इबोला के टीकों के परीक्षण के लिए सबसे प्रभावी रहने वाले मानवीय परीक्षणों के प्रकार की पहचान करने में मदद की है. मोनाश विश्वविद्यालय के महामारी एवं रोकथाम दवा विभाग में सहायक प्रोफेसर मनोज गंभीर यह शोध करने वाले दल में शामिल हैं. टेक्सास ऑस्टिन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता स्टीव बेलान के नेतृत्व में और अमेरिकी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के सहयोग से सियरा लियोन में किए जाने वाले सीडीसी के टीका परीक्षण के प्रारूप का यह अध्ययन ‘द लांसेट इंफेक्शियस डिसीजेज’ में प्रकाशित हुआ है. सुरक्षित और प्रभावी टीके पश्चिमी अफ्रीका के हिस्सों में फैले इबोला वायरस की महामारी का अंत कर सकते हैं और भविष्य में इस वायरस के प्रकोप को रोक सकते हैं. सीडीसी ने हाल ही में देश में टीका परीक्षण करने की घोषणा की थी. गंभीर ने कहा कि शोध दल ने इस बात पर गौर किया कि किसी टीके के मूल्यांकन में ‘यादृच्छिक नियंत्रण परीक्षण’ (रैंडमाइज्ड कंट्रोल ट्रायल- आरसीटी) सबसे अधिक सुरक्षित व प्रभावी है या ‘स्टैप्ड-वेज क्लस्टर ट्रायल डिजाइन’? आरसीटी के तहत आबादी के सभी लोगों को चुने जाने की संभावना एक समान होती है. जबकि दूसरी प्रणाली में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को टीके दिए जाएंगे और फिर वे उपचार करेंगे.

 
 
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