सभ्यता-संस्कृति से जुड़े लकड़ी के खिलौने

सभ्यता-संस्कृति को जिंदा रखने के लिये अब भी बनते हैं लकड़ी के खिलौने

एक ओर जहां प्लास्टिक के खिलौने बच्चों के क्रमिक विकास पर असर डाल रहे हैं वहीं पंजाब के विभिन्न इलाकों में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो आने वाली पीढी को अपनी संस्कृति और सभ्यता से परिचित कराने और उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रख कर बिना किसी मदद के लगातार लकड़ी के खिलौने बना रहे हैं. जी हां, पंजाब के जालंधर, मोगा, बठिंडा फिरोजपुर सहित सीमाई इलाकों के कुछ बुजुर्ग इस ‘प्लास्टिक युग’ में आज भी बिना किसी सरकारी मदद के लकड़ी के खिलौने बना रहे हैं हालांकि, प्लास्टिक के सुंदर खिलौनों की भीड़ में लकड़ी के ये खिलौने खो जाते हैं लेकिन उनका कहना है कि ‘ये खिलौने हमारे सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक हैं. इसलिए वह इन्हें बनाना नहीं छोड़ सकते हैं’.

 
 
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