Gay Sex पर सुनवाई के लिए कोर्ट तैयार

Gay Sex पर सुनवाई के लिये सुप्रीम कोर्ट तैयार

कोर्ट के इस कदम से समलैंगिक रिश्तों के पक्षधरों में उम्मीद जगी है कि शायद शीर्ष अदालत के विवादास्पद निर्णय पर पुनर्विचार करके उसमें सुधार हो सकेगा. सुधारात्मक याचिका न्यायालय में समस्या के निदान का अंतिम न्यायिक तरीका है जिस पर सामान्यतया न्यायाधीशों के चैंबर में ही किसी भी पक्ष को बहस का अवसर दिये बगैर ही विचार होता है बहुत कम मामलों में ही ऐसी याचिकाओं पर न्यायालय में सुनवाई होती है. प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम, न्यायमूर्ति आर एम लोढा, न्यायमूर्ति एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की चार सदस्यीय पीठ ने गैर सरकारी संगठन नाज फाउण्डेशन और प्रख्यात फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल सहित दूसरे व्यक्तियों की याचिकाओं पर न्यायालय में सुनवाई करने के लिये आज सहमति दे दी. पीठ ने संक्षिप्त आदेश में कहा, ‘‘इसे अगले सप्ताह न्यायालय में सूचीबद्ध किया जाये.’’ नाज फाउण्डेशन सहित सारे याचिकाकर्ता समलैंगिक समुदाय की ओर से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. इन याचिकाओं में भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को वैध ठहराने वाले शीर्ष अदालत के 11 दिसंबर, 2013 के निर्णय को चुनौती दी गयी है. धारा 377 के तहत समलैंगिक यौनाचार दंडनीय अपराध है जिसके लिये उम्र कैद तक की सजा हो सकती है.

 
 
Don't Miss