भगवान सचिन की क्रिकेट गाथा

बड़ी मुश्किल से होता है चमन में सचिन सा दीदावर पैदा...

क्रिकेट को मजहब और उन्हें खुदा मानने वाले देश में एक अरब से अधिक क्रिकेटप्रेमियों की अपेक्षाओं का बोझ भी कभी सचिन तेंदुलकर को उनके लक्ष्य से विचलित नहीं कर सका. ऐसा उनका आभामंडल रहा कि कैरियर की आखिरी पारी तक भारत ही नहीं दुनिया की नजरें उनके बल्ले पर गड़ी रही. मुंबई में अपना 200वां और आखिरी टेस्ट खेलने वाले तेंदुलकर महान खिलाड़ियों की जमात से भी ऊपर उठ गए. क्रिकेट खुशकिस्मत रहा कि उसे तेंदुलकर जैसा खिलाड़ी मिला जिसने न सिर्फ समूची पीढ़ी को प्रेरित किया बल्कि उसके इर्द-गिर्द क्रिकेट प्रशासकों ने करोड़ों कमाई करने वाला एक उद्योग स्थापित कर डाला.

 
 
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