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- 'सिंधु भाग्यशाली है, उसके पास मेरा पति है'

उन्होंने कहा कि गोपीचंद के जो सपने अधूरे रह गए थे वह उन्होंने कोच बनकर साकार किया. वह कोच के रूप में 100 फीसद समर्पित हैं. वह अपना सबकुछ देते हैं और उतना ही अपने स्टूडेंट्स से उम्मीद करते हैं. कोचिंग ही उनका जुनून है.
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