करें गुरु दर्शन: गुरु साक्षात परब्रम्ह...

 गुरुपूर्णिमा, गुरुर ब्रम्हा गुरुर विष्णु , गुरुर देवो महेश्वरा !

गु' का अर्थ है अंधकार या अज्ञान और 'रु' का अर्थ है उसका निरोधक यानी जो अज्ञान के अंधकार से बाहर निकाले वही 'गुरु'. गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व अपने आराध्य गुरु को श्रद्धा अर्पित करने का महापर्व है. योगेश्वर भगवान कृष्ण श्रीमद्भगवतगीता (8-12) में कहते हैं, 'हे अर्जुन! तू मुझमें गुरुभाव से पूरी तरह अपने मन और बुद्धि को लगा ले. ऐसा करने से तू मुझमें ही निवास करेगा, इसमें कोई संशय नहीं. यह पुण्य दिवस उस महान ज्ञान के प्रति कृतज्ञ होने का दिन है, जो हमें गुरुओं से प्राप्त हुआ है. आइए जानते हैं कुछ नामचीन धर्मगुरुओं के गुरु की महत्ता के बारे में व्यक्त किये गये विचार संत कबीर ने गुरु को ईश्वर से ऊंचा स्थान देते हुए कहा है- 'गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागहुं पायं, बलिहारी गुरु आपने जिन गोविंद दियो बताय.' इनकी मान्यता है कि गुरु केवल ज्ञान ही नहीं देता बल्कि अपनी कृपा से शिष्य को सब पापों से मुक्त भी कर देता है. गुरु तत्व का सिद्धांत और बुद्धिमत्ता है, आपके भीतर की गुणवत्ता. यह एक शरीर या आकार तक सीमित नहीं है. (गुरु वशिष्ठ के साथ राम लक्ष्मण)

 
 
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