...बीमार हो रही धरती

World Earth Day: ...बीमार हो रही धरती

भौतिक सुख-सुविधाओं के चक्कर में पिछले 100 वर्ष में पृथ्वी को जितना नुकसान पहुंचा है उतना कई हजार वर्ष में नहीं हुआ होगा. प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुध दोहन से ये अब समाप्ति की कगार पर हैं. बीएचयू के पर्यावरणविदों के अनुसार जलवायु पर्वितन से प्राकृतिक आपदाएं बढ़ी हैं. दुनिया को बचाना है तो अर्थ-डे यानी पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) पर धरती को याद करना होगा. भारत ही नहीं पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन, गड़बड़ाते पर्यावरण से जूझ रही है. प्रकृति की संरक्षा व सुरक्षा की दिशा में दूरदृष्टि की जरूरत है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति का वरदान मिल सके. भारत के प्राचीन ग्रंथों और वेद-पुराणों में पर्यावरण संरक्षण का उल्लेख है. राष्ट्रगान और गायत्री मंत्र में भी प्रकृति की अराधना की गयी है.

 
 
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