शहनाई थी बिस्मिल्लाह की बेगम

Death Anniversary: शहनाई को अपनी बेगम कहते थे बिस्मिल्लाह खां

बनारस की रूहानी फिजा में मंदिर के घंटों की गूंज के बीच कठिन साधना कर शहनाई को विश्वभर में पहचान दिलाने वाले मशहूर शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की आज पुण्यतिथि है. शहनाई को अपनी ‘बेगम’ कहने वाले संगीत के शैदाई इस फनकार को अनेक लोग ‘संगीत के भगवान’ का दर्जा देते हैं. कठिन साधना कर शहनाई को शास्त्रीय वाद्य का दर्जा दिलाने वाले पक्के मुसलमान साधक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां एकता और भाईचारे की अद्वितीय मिसाल थे. उस्ताद बिस्मिल्लाह खां बनारस के बालाजी मंदिर में शहनाई का रियाज करते थे. उनके मामू अल्लन खां अक्सर शहनाई का अभ्यास करने के लिए मंदिर जाते थे. मामू के इंतकाल के बाद भी वह सिलसिला नहीं टूटा और बिस्मिल्लाह करीब 14-15 घंटे तक उसी मंदिर में ठहरते थे.

 
 
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