मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता...

 या देवी सर्वभू‍तेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता...

नवरात्रि के छठे दिन आदिशक्ति श्री दुर्गा के छठे रूप मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना का विधान है. महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था. इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं. मां दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है. उस दिन साधक का मन 'आज्ञा' चक्र में स्थित होता है. योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है. इस चक्र में स्थित मन वाला साधक मां कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है. परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्तों को सहज भाव से मां के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं.

 
 
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