अब खूंखार आदमखोरों से होंगी आंखें चार

PICS: लैपर्ड सफारी बनाकर पर्यटकों को लुभाने की योजना

विभिन्न इलाकों में खौफ का सबब बनने के बाद वन विभाग के रेस्क्यू ऑपरेशन में घायल हो चुके आदमखोरों को अब मुफ्त में खाना नहीं मिलेगा. वन महकमा इन खूंखार गुलदारों के जरिये कीनिया व गुजरात की तर्ज पर पैसा बनाने की योजना पर होमवर्क करने में जुटा है. कीनिया व गुजरात में आदमखोरों को मुफ्त में पालने के बजाय उनसे पैसा कमाने का प्रयोग सफल रहा है. इस तरह यह योजना उत्तराखंड में पर्यटकों को लुभाने का अच्छा जरिया इसलिए बन सकती है क्योंकि यहां मानव-गुलदार संघर्ष के चलते हर साल दर्जनों गुलदारों को पकड़ना या मारना पड़ता है. वन मंत्री दिनेश अग्रवाल की पहल पर वन्य जीव प्रतिपालक का दफ्तर इन दिनों एक योजना पर काम कर रहा है. इस योजना में लैपर्ड सफारी तैयार करने का इरादा है. इस लैपर्ड सफारी में उन लैर्पड को रखा जाएगा जो, समय-समय पर मानव-वन्यजीव संघर्ष के बाद पकड़े गये हैं. ऐसे 40 से अधिक गुलदार इइ समय अल्मोड़ा व नैनीताल के रेस्क्यू सेंटरों में उपचाराधीन हैं लेकिन उपचार के बाद उन्हें जंगल में छोड़ना खतरे से खाली नहीं है, क्योंकि मानव के साथ संघर्ष के बाद इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है कि वे दोबारा ऐसा नहीं करेंगे. बहरहाल विभागीय मंत्री की दिलचस्पी को देखते हुए इन गुलदारों को पर्यटन का आकर्षण बनाने के लिए योजना पर काम हो रहा है.

 
 
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