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- ममता का विराट स्वरूप
कहा जाता है कि दुनिया में हर कोई सिर्फ अपने लिए जीता है पर मदर टेरेसा जैसे लोग सिर्फ दूसरों के लिए जीते हैं. वह 18 वर्ष की आयु में 1928 में भारत के कोलकाता शहर आईं और सिस्टर बनने के लिए लोरेटो कान्वेंट से जुड़ीं और इसके बाद अध्यापन कार्य शुरू किया.
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