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- मोदी कोे नहीं मिला न्योता

मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर के समय से जिस जगह रामलीला लगातार मंचित होती आ रही है और आजादी के बाद जहां हर साल रावण के पुतला दहन के समय प्रधानमंत्री खुद मौजूद रहते रहे हों वहां पहली बार पुतला दहन प्रधानमंत्री की मौजूदगी के बिना संपन्न हुआ. अजमेरी गेट स्थित ऐतिहासिक रामलीला मैदान वैसे तो सालभर राजनीतिक गतिविधियों के कारण सुर्खियों में रहता है लेकिन इस बार दशहरे के मौके पर भी यह मैदान सियासी कारणों की वजह से चर्चा में आ गया.
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