पीठ पर बोझ, आंखों में सुनहरे सपने

Women

जब भी महिला सशक्तीकरण की बात होती है तो शान से गौरादेवी, बछेंद्री पाल, टिंचरी माई, डॉ. हर्षवंती बिष्ट, सुमन कुटियाल आदि का नाम लिया जाता है लेकिन लोग अक्सर यह भूल जाते हैं कि आज भी सैकड़ों लड़कियों को मेरठ के कबाड़ी बाजार या दिल्ली के जीबी रोड के नर्क में धकेला जा रहा है. सिलसिला थमा नहीं है. स्त्री दलित हो तो स्थिति और बुरी है.

 
 
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