INS विक्रमादित्य क्यों है खास

 INS विक्रमादित्य की अद्धुत ताकत, भारतीय नौसेना को मिलेगी जबर्दस्त ताकत

तीन पनडुब्बियों के साथ इसने उत्तर पश्चिमी अरब सागर में अपनी दस्तक दी. भारत ने इस पोत को रूस से खरीदा है. आईएनएस विक्रमादित्य को 2008 में सौंपा जाना था. बाद में तय हुआ कि 4 दिसंबर, 2012 को सौंपा जाएगा. लेकिन दो महीने पहले परीक्षण के दौरान पता चला कि बॉयलर पूरी तरह काम नहीं कर रहा है. फिर मरम्मत हुई. अब यह भारतीय नौसेना में शामिल होने को तैयार है. इसका सौदा 2004 में करीब 5,990 करोड़ रु. में हुआ था. बाद में राशि बढ़ाकर लगभग 14,548 करोड़ रुपए कर दी गई. आईएनएस विक्रमादित्य से भारत की सामरिक ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. रूस के युद्धपोत एडमिरल गोर्शकोव को ही नौसेना ने आईएनएस विक्रमादित्य नाम दिया है. एक तरह से तैरता हुआ शहर. इस पर 1,608 नौसैनिक होंगे. 16 टन चावल, एक लाख अंडे, 20 हजार लीटर दूध भी होगा. लगातार 45 दिन समुद्र में रह सकेगा. हवाई पट्टी 284 मीटर लंबी और अधिकतम 60 मीटर चौड़ी है.

 
 
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