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- ‘लज्जा में इस्लाम की आलोचना नहीं’
उनके अनुसार, ‘लज्जा’ धर्म या घृणा की बात नहीं करती. यह मानवता और प्रेम की बात करती है. धार्मिक कट्टरपंथ की दास्तां बयां करने वाली ‘लज्जा’ वर्ष 1993 में लिखी गई थी. इसे बांग्लादेश में प्रतिबंधित कर दिया गया था लेकिन बाकी दुनिया में यह ‘बेस्टसेलर’ बन गई थी.
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