एक थीं अरुणा शानबाग....

एक थीं अरुणा शानबाग....अंतहीन पीड़ा से मुक्त होकर सबको रोता छोड़ गईं अरुणा

पिंकी ने उत्तर प्रदेश के हल्दीपुर की रहने वाली अरूणा की कहानी वर्ष 1998 में अपनी ‘नॉन फिक्शन’ किताब ‘‘अरूणा’ज स्टोरी’’ में बताई. अरूणा पर दत्तकुमार देसाई ने 1994-95 में मराठी नाटक ‘‘कथा अरूणाची’’ लिखा जिसका वर्ष 2002 में विनय आप्टे के निर्देशन में मंचन किया गया.

 
 
Don't Miss