'बेतरतीबी' ही थी उनकी असल ताकत

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इस पर पेंगुइन वाले नाराज हो गए. मालिकान का फोन आया कि क्या वह उपन्यास को दोबारा पढ़कर अपनी राय बदलेंगे? खुशवंत ने राय नहीं बदली और किताब को भारत में न छापने की सलाह पर अड़े रहे. इसके बाद पेंगुइन के मालिकान, जिनके करोड़ों रपए अग्रिम रॉयल्टी के रूप में जा चुके थे, का धमकी भरा फोन आया कि अपनी ओपियन लिखित रूप में दर्ज कराएं.

 
 
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