'बेतरतीबी' ही थी उनकी असल ताकत

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आगे जोड़ा- मैं 70 साल से लगातार लिखता रहा हूं. सच यह है कि मैं मरना चाहता हूं. मैंने काफी जी लिया और अब जिंदगी से तंग आ गया हूं. मुझे आगे कुछ नहीं देखना है और जिंदगी में ऐसा कुछ नहीं है जो करने की मेरी इच्छा हो, जो करना था, कर चुका. अब जब कुछ करने को बचा नहीं तो जिंदगी आगे खींचने का क्या मतलब? (सैयद उबैद-उर-रहमान)

 
 
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