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- 'बा' के लिए गांधी ने किया था सत्याग्रह

बाबू के दांत से जुड़ी एक सच्चाई: यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन की सत्य घटनाओं में से एक है. उस समय गांधीजी दिल्ली में थे. एक दिन अचानक उन्हें लगा कि उनका एक दांत हिल रहा है और वो गिरना चाहता है. गांधीजी ने डॉक्टर के यहां जाने का निश्चय किया और एक आश्रमवासी को साथ चलने के लिए कहा. आश्रमवासी ने सोचा कि डॉक्टर जब बापू का दांत निकालेगा तो वह उसे अपने पास उनकी स्मृति के लिए सहेज कर रख लेगा, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. बस यहीं से गांधीजी के जीवन से जुड़े इस बेहद रोचक और चर्चित प्रसंग की नींव पड़ी. महात्मा अंधश्रद्धा के घोर विरोधी थे. उनका मानना था कि सिद्धांत की पूजा होनी चाहिए सिद्धांतवादी की नहीं. ऐसे में आश्रमवासी के मन में उनके दंत पूजन की जो इच्छा उभरी थी वो पूर्ण होने के दृष्टिकोण से बेहद कठिन थी. खैर बापू और आश्रमवासी डॉक्टर के यहां जाने के लिए निकल ही रहे थे कि तभी बापू के एक साहित्यकार मित्र वहां आ गए और बापू के साथ मोटर कार में बैठ गए. आश्रमवासी ने कार में जगह न होने पर साहित्यकार से कहा कि कृपया डॉक्टर जब बापू का दांत निकाले तो वह साथ ले आएं और उसे दे दें.